बीबीएमपी चुनाव : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से एक सप्ताह के भीतर वार्डवार आरक्षण सूची प्रकाशित करने को कहा
Shahadat
28 July 2022 5:10 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार को बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी- ग्रेटर बेंगलुरु नगर निगम) के लिए वार्ड-वार आरक्षण सूची आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर प्रकाशित करने का निर्देश दिया, ताकि कर्नाटक राज्य चुनाव आयोग कानून के अनुसार उचित समय के भीतर स्थानीय निकायों के गठन की दिशा में कदम उठाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि एसईसी को अधिनियम और अन्य संवैधानिक मानकों के प्रावधान के अनुसार उचित समय सीमा के भीतर स्थानीय निकायों के गठन को सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए एसईसी की सुविधा के लिए तुरंत वार्डवार आरक्षण चार्ट को अधिसूचित किया जाए ... आज से एक सप्ताह के भीतर राज्य इसे प्रकाशित करेगा।"
जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने प्रक्रिया शुरू करने में राज्य चुनाव आयोग की ओर से कोई देरी होने की स्थिति में पीड़ित व्यक्तियों को आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।
पीठ ने कहा,
"यदि किसी स्थानीय निकाय में एसईसी द्वारा प्रक्रिया शुरू करने में देरी के संबंध में कोई शिकायत है तो पीड़ित व्यक्ति के लिए यह दरवाजा खुला होगा कि वह आवश्यकता पड़ने पर अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।"
राज्य के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग के नवदगी ने पीठ को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने अपने आदेश दिनांक 20.05.2022 के अनुपालन में 09.06.2022 को परिसीमन प्रक्रिया पूरी की और 14.07.2022 को परिसीमन अधिसूचना प्रकाशित की।
बेंच ने 20.05.2022 को राज्य सरकार को बीबीएमपी के लिए वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने और आठ सप्ताह की अवधि के भीतर इसे अधिसूचित करने के लिए कहा था। इसने कर्नाटक राज्य चुनाव आयोग से वार्डों के परिसीमन की अधिसूचना और/या ओबीसी के लिए आरक्षण का निर्धारण की अधिसूचना की तारीख से एक सप्ताह के भीतर नव निर्वाचित निकाय को स्थापित करने के लिए चुनाव कराने की तैयारी शुरू करने के लिए कहा था।
नवदगी ने पीठ को यह भी बताया कि राजनीतिक प्रतिनिधित्व में पिछड़ेपन की पहचान करने के लिए समर्पित आयोग ने 21.07.2022 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है।
जस्टिस खानविलकर ने माना कि परिसीमन अधिसूचना के प्रकाशन में एक महीने से अधिक का समय लगा। शायद इसलिए कि राज्य सरकार समर्पित आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
जस्टिस खानविलकर ने कहा,
"आपकी अधिसूचना का प्रकाशन में एक महीने से अधिक समय क्यों लगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि आप गठित आयोग की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे है। हमें इसे ऐसे ही पढ़ना होगा।"
परिसीमन के पैटर्न की आलोचना करते हुए आवेदन दायर किया गया था। खंडपीठ ने आवेदक को कानून में अनुमेय ऐसे उपाय का सहारा लेने की स्वतंत्रता दी।
पृष्ठभूमि
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को बीबीएमपी के चुनाव तेजी से कराने का निर्देश दिया, मतदाता सूची की अंतिम सूची के प्रकाशन की तारीख से छह सप्ताह के भीतर चुनाव कार्यक्रम प्रकाशित करना के लिए भी कहा। बीबीएमपी के चुनाव समय पर कराने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं के समूह की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया गया। इनमें से एक याचिका राज्य चुनाव आयोग ने दायर की थी।
इसे राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर 18.12.2020 को नोटिस जारी करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने रोक लगा दी थी। कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश को इस आधार पर चुनौती दी कि चुनाव हाईकोर्ट के निर्देशानुसार बीबीएमपी के 198 वार्डों के बजाय 243 वार्डों में होना चाहिए। राज्य के अनुसार, कर्नाटक नगर निगम तीसरा संशोधन अधिनियम, 2020, (संशोधन अधिनियम) का प्रभाव वर्तमान चुनावों पर लागू होगा। उक्त संशोधन के तहत वार्डों की संख्या बढ़ाकर 243 कर दी गई है।
हाईकोर्ट ने कर्नाटक नगर निगम तीसरा संशोधन अधिनियम, 2020, (संशोधन अधिनियम) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, जिसने बीबीएमपी में वार्ड बढ़ा दिए थे।
इसके साथ ही कोर्ट ने ध्यान दिया,
"इसे यह मानकर इसे पढ़ना होगा कि यह उन निगमों के चुनावों पर लागू नहीं होगा जो संविधान के अनुच्छेद 243 के अनुसार, संशोधन अधिनियम के लागू होने से पहले होने चाहिए थे।"
केस टाइटल: कर्नाटक राज्य बनाम एम. शिवराजु