सरकार ज़्यादा कुछ नहीं कर सकती : यमन में निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक की याचिका पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
Amir Ahmad
14 July 2025 1:56 PM IST

भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की आगामी फांसी को रोकने के लिए सरकार एक हद तक ही जा सकती है और हम उस सीमा तक पहुँच चुके हैं।
यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष आया।
सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल नामक संगठन की ओर से याचिका दायर की गई थी। कोर्ट को बताया गया कि प्रिया का परिवार और समर्थक शरियत कानून के तहत क्षमा प्राप्त करने के लिए 'ब्लड मनी' (रक्त धन) को लेकर पीड़ित के परिवार के साथ बातचीत कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया कि भारत सरकार कूटनीतिक माध्यमों से इस प्रक्रिया में सहायता करे।
अटॉर्नी जनरल ने हालांकि बताया कि यमन के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों की संवेदनशीलता को देखते हुए यह किसी सामान्य देश जैसा मामला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निजी स्तर पर भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन "सरकार ज़्यादा कुछ नहीं कर सकती।"
उन्होंने कहा,
“यमन कोई सामान्य देश नहीं है। उसे राजनयिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। ब्लड मनी पूरी तरह निजी बातचीत का विषय है। सरकार ने जितना कर सकती थी, किया है। हमने स्थिति को और जटिल बनाने से बचने के लिए इसे सार्वजनिक नहीं किया। हम निजी स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।”
जस्टिस संदीप मेहता ने टिप्पणी की कि यह मामला बेहद संवेदनशील और "दुखद" है। लेकिन चूंकि सरकार ने अपनी सीमाएं स्पष्ट कीं, कोर्ट ने मामले को शुक्रवार (14 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दिया और सरकार से ताज़ा स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
जब याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई कि "फांसी न दी जाए कोर्ट ने सवाल किया,
"हम ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? कोई उसका पालन क्यों करेगा?"
निमिषा की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका देकर यमन जाने की अनुमति मांगी थी, जिसे सरकार ने यमन यात्रा प्रतिबंध का हवाला देकर रोक दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने सरकार को उनकी अर्जी पर विचार करने का निर्देश दिया था।
केस टाइटल: सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल बनाम भारत संघ व अन्य

