सुप्रीम कोर्ट असली हिंदुस्तान है, जहां वकील देश के हर कोने से आते हैं: जस्टिस सुधांशु धूलिया का विदाई संबोधन

Amir Ahmad

8 Aug 2025 2:15 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट असली हिंदुस्तान है, जहां वकील देश के हर कोने से आते हैं: जस्टिस सुधांशु धूलिया का विदाई संबोधन

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया 9 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने अपने विदाई समारोह में कहा कि सुप्रीम कोर्ट असल में हिंदुस्तान है, जहां की विविधता और समावेशिता पूरे देश की पहचान को दर्शाती है।

    जस्टिस धूलिया ने कहा,

    "सुबह मेरी पत्नी ने पूछा कि आपको सबसे ज्यादा किस चीज़ की कमी महसूस होगी। मैंने कहा 'हिंदुस्तान' की। वह सोचने लगी कि शायद मैं अपनी समझ खो रहा हूं। मेरे कहने का मतलब था सुप्रीम कोर्ट बार। यह शायद दुनिया की एकमात्र अदालत है, जहां देश के हर कोने से हर राज्य से वकील आते हैं। यही वह चीज है जिसे मैं रोज सुबह सबसे ज्यादा मिस करूंगा।"

    उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें नए-नए संवैधानिक और कानूनी मुद्दों पर बहस सुनने का अवसर मिला, खासकर संविधान पीठ की सुनवाई के दौरान। इन बहसों ने उन्हें नई दृष्टि दी जैसे एक किताब में पात्र ने पेरिस में चित्रकला सीखने के बाद कहा कि उसने पेड़ को आसमान के सामने देखना सीखा।

    उन्होंने जोड़ा,

    "आपकी दलीलों में मैंने वही देखा कुछ ऐसा जो मैंने पहले नहीं सोचा था और यही मेरी सबसे बड़ी सीख रही।”

    जस्टिस धूलिया उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे, फिर जनवरी 2021 में उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिसस नियुक्त किया गया। 9 मई 2022 को वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

    चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने इस विदाई समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजरिया भी शामिल थे। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अन्य वरिष्ठ कानून अधिकारियों ने भी संबोधन दिया।

    उनके करियर में कर्नाटक हिजाब केस में दिया गया असहमति वाला फैसला, जिसमें उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने के कारण लड़कियों को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और उर्दू भाषा को भारत से पराया न मानने वाला फैसला विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे।

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