स्कूल की किताबों में ट्रांसजेंडर-इन्क्लूसिव सेक्स एजुकेशन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी

Amir Ahmad

1 Sept 2025 1:24 PM IST

  • स्कूल की किताबों में ट्रांसजेंडर-इन्क्लूसिव सेक्स एजुकेशन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर) को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया।

    यह याचिका कक्षा 12 की स्टूडेंट ने दायर की, जिसमें मांग की गई कि स्कूल कोर्स और NCERT और SCERTs द्वारा तैयार की गई पाठ्य-पुस्तकों में ट्रांसजेंडर-समावेशी "कॉम्प्रिहेंसिव सेक्सुअलिटी एजुकेशन" (CSE) शामिल की जाए।

    चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

    याचिका की पृष्ठभूमि

    याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के NALSA बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और Society for Enlightenment and Voluntary Action बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दिए गए बाध्यकारी निर्देशों का पालन अब तक नहीं किया गया।

    याचिका में तर्क दिया गया कि NCERT और ज्यादातर SCERT ने अब तक लैंगिक पहचान, लैंगिक विविधता,और सेक्स व जेंडर के भेद जैसे मुद्दों पर संरचित या परीक्षायोग्य कंटेंट शामिल नहीं किया, जबकि ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 की धाराएं 2(ड) और 13 इसकी स्पष्ट रूप से मांग करती हैं।

    याचिका में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक के पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा का हवाला दिया गया, जिसमें इन विषयों को सुनियोजित तरीके से दरकिनार किया गया। साथ ही केवल केरल को आंशिक अपवाद माना गया।

    इसके अलावा, NCERT के RTI जवाब (7 मई 2025) का हवाला दिया गया, जिसमें स्वीकार किया गया कि अब तक ट्रांसजेंडर-इन्क्लूसिव सेक्स एजुकेशन पर कोई शिक्षक-प्रशिक्षण आयोजित नहीं हुआ।

    सुप्रीम कोर्ट में उठी अहम मांग

    याचिका में मांग की गई:-

    1. NCERT और SCERTs को निर्देश दिया जाए कि वे ट्रांसजेंडर-समावेशी वैज्ञानिक रूप से सटीक और आयु-उपयुक्त कॉम्प्रिहेंसिव सेक्स एजुकेशन को देशभर में परीक्षायोग्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं।

    2. सभी शैक्षणिक संस्थानों (सरकारी और निजी) में जेंडर सेंसिटाइजेशन और ट्रांसजेंडर-इन्क्लूसिव CSE के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए बाध्यकारी दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा।

    मामले की अगली सुनवाई में यह साफ होगा कि देशभर के स्कूली पाठ्यक्रम में इस अहम बदलाव पर सरकार का रुख क्या होता है।

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