सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की रिहाई की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया; अपराध के समय किशोर थे

LiveLaw News Network

1 July 2021 11:02 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की रिहाई की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया; अपराध के समय किशोर थे

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 14 से 22 साल की अवधि के लिए आगरा जेल में बंद 13 कैदियों को रिहा करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि इन कैदियों को अपराध के समय किशोर होने के बावजूद रिहा करने से इनकार कर दिया गया है।

    न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा की दलील पर विचार किया और याचिका के साथ-साथ अंतरिम जमानत के लिए आवेदन में नोटिस जारी किया है।

    उत्तर प्रदेश राज्य को सरकारी अधिवक्ता के माध्यम से तामील करने का निर्देश दिया गया है।

    अगले गुरुवार को मामले की सुनवाई की जाएगी।

    याचिका में कहा गया है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसलों के बावजूद जिसमें यह कहा गया था कि अपराध के समय याचिकाकर्ता किशोर थे क्योंकि वे सभी 18 वर्ष से कम आयु के थे, फिर भी उत्तर प्रदेश राज्य उनकी रिहाई के लिए कोई कदम उठाने में विफल रहा है।

    याचिका में प्रस्तुत किया गया कि,

    "हालांकि अधिकांश मामलों में उनकी वैधानिक आपराधिक अपील उच्च न्यायालय के समक्ष विभिन्न आईपीसी अपराधों के तहत उनकी सजा के खिलाफ लंबित है, लेकिन इस समय यह आवश्यक है कि इन याचिकाकर्ताओं की तुरंत रिहाई को इस तथ्य के मद्देनजर निर्देशित किया जाए कि केवल वे किशोर घोषित किए गए हैं और वे पहले ही किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 16 के साथ पठित धारा 15 के तहत प्रदान की गई हिरासत की अधिकतम अवधि अर्थात 3 वर्ष से गुजर चुके हैं।"

    याचिका में 24 मई, 2012 के एक आदेश का उल्लेख किया गया है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड को जेल में बंद कैदियों की उम्र के निर्धारण के लिए एक जांच करने का निर्देश दिया था। याचिका में कहा गया है कि जेजे बोर्ड ने स्पष्ट रूप से माना था कि याचिकाकर्ता घटना के समय किशोर थे। इस आदेश के बावजूद वे एक दशक से अधिक समय से जेल में कैद हैं।

    याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। याचिका में जेजे बोर्ड के आदेश के आलोक में याचिकाकर्ताओं की तुरंत रिहाई के लिए प्रार्थना की गई है। याचिका के साथ अंतरिम जमानत की अर्जी भी दाखिल की गई है।

    (टीकम एंड अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एंड अन्य)।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:

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