हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग के सभी पीड़ितों को एक समान मुआवजा देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस किया जारी
Brij Nandan
22 April 2023 11:17 AM IST
क्राइम और मॉब लिंचिंग के सभी पीड़ितों को एक समान मुआवजा देने की मांग करते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है। 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
ये याचिका ‘इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स’ ने दाखिल की है। याचिका में तहसीन पूनावाला मामले में पीड़ित को मुआवजा देने के लिए योजना बनाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने की मांग की गई है। इस मामले में सीआरपीसी की धारा 357A के तहत राज्य सरकारों को हेट क्राइम और मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना बनाने का निर्देश मिला था।
जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सरकारों से कहा है कि मॉब लिंचिंग पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए योजना बनाने के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में बताएं। 8 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट जावेद शेख ने कहा कि साल 2018 में तहसीन पूनावाला मामले में मॉब लिंचिंग केस में पीड़ितों को मुआवजा देने के संबंध में जारी निर्देशों को एक महीने के भीतर लागू करना था। 4-5 राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य ने निर्देशों का पालन नहीं किया। जिन राज्यों ने मुआवजे के लिए योजना बनाई भी है उसमें भी असमानताएं हैं।
आगे कहा कि राजस्थान में मॉब लिंचिंग मामले में मौत होने पर पीड़ित परिवार को अधिकतम 5 लाख रुपए दिए जाते हैं। ओडिशा में 5-10 लाख और बिहार में तो 3 लाख तक ही दिए जाते हैं।
याचिका में कहा गया कि मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के परिवारों को उनके धर्म के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है। कई मामलों में जब पीड़ित दूसरे धर्मों से थे तो ज्यादा मुआवजा दिया गया। वहीं, अल्पसंख्यक समुदाय के पीड़ितों को काफी कम मुआवजा दिया गया। राज्य मुआवजा देने में भेदभाव करते हैं।
याचिका में दो उदाहरण दिए गए। कन्हैया लाल मर्डर केस। ये हेट क्राइम का मामला था। पीड़ित को 51 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। साथ पीड़ित के दो बेटों को सरकारी नौकरी भी दी गई। इतना ही नहीं, राजस्थान के सीएम ने पीड़ित के परिवार वालों से मुलाकात भी की थी। दूसरी घटना। 17 फरवरी को एक कार में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की जली हुई बॉडीज मिली थी। इसमें पीड़ित को सरकार ने सिर्फ 5 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणी की। इस तरह धर्मा के आधार पर मुआवजा देते समय भेदभाव किया जा रहा है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन किया जा रहा है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से हेट क्राइम और मॉब-लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक समान नीति बनाने की मांग की गई है।
[केस टाइटल: इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) संख्या 428/2023]