गैगस्टर एक्टः इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुख्तार अंसारी की अपील, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Avanish Pathak

13 Oct 2023 3:06 PM GMT

  • गैगस्टर एक्टः इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मुख्तार अंसारी की अपील, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

    अंसारी ने यह अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की है, जिसमें उन्हें उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और एंटी-सोशल एक्ट‌िविटीज़ (प्र‌िवेंशन) एक्ट,1986 के तहत गैंगस्टर होने के कारण 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।

    जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने आज अंसारी की याचिका पर नोटिस जारी किया और राज्य से जवाब मांगा। मामले को आगे विचार के लिए 4 सप्ताह बाद पोस्ट किया गया है।

    अंसारी के खिलाफ जेल अधीक्षक की हत्या के सहित दर्ज कई मामले की एफआईआर में गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 और 3 के तहत आरोप लगाए गए हैं।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2022 के अपने आदेश में अंसारी को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलटते हुए उन्हें 5 साल की सश्रम कारावास की सजा दी है और उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

    हाईकोर्ट ने निर्णय में कहा था,

    "..इस अदालत का मानना है कि आरोपी-प्रतिवादी एक गैंगस्टर है और उसने कथित तौर पर कई अपराध किए हैं और इसलिए, उसे धारा 2/3 गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराध के लिए दोषी पाया गया है।"

    शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अंसारी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले में अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है और अंसारी को अन्य आपराधिक अपराधों से भी बरी कर दिया गया है।

    उन्होंने कहा,

    “यह बहुत अजीब है, सभी को बरी कर दिया गया है, केवल मुझे दोषी ठहराया गया है। मुझे भी विधेय अपराध से बरी कर दिया गया है। किसी को दोषी भी नहीं ठहराया गया और मुझे गैंगस्टर बना दिया गया? किस आधार पर? कोई सबूत नहीं है। मेरी बरी का फैसला पलट दिया गया है।

    उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने इसका विरोध किया और कहा, "वह एक कट्टर अपराधी है, उसका नाम मुख्तार अंसारी है, उसके खिलाफ 50 से अधिक मामले हैं।"

    ट्रायल कोर्ट ने अंसारी को इस आधार पर बरी कर दिया था कि उन्हें उन सभी अपराधों से बरी कर दिया गया था, जिनका गैंग-चार्ट में उल्लेख किया गया था। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना था कि वह गैंगस्टर एक्ट की धारा 2 और 3 के तहत एक 'गैंगस्टर' है।

    इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में एक जेलर पर पिस्तौल तानकर जान से मारने की धमकी देने के मामले में उन्हें सात साल की कैद की सजा देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

    अंसारी इस समय जेल में हत्या और अपहरण के मामलों में सजा काट रहे हैं।

    केस टाइटलः मुख्तार अंसारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, डायरी नंबर 198-2023

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