सुप्रीम कोर्ट ने गन्ना किसानों को गन्ने की उपज की कीमत के भुगतान के लिए मैकेनिज़्म की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

5 Aug 2021 4:29 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका पर नोटिस जारी, जिसमें गन्ना किसानों को गन्ने की उपज की कीमत के भुगतान के लिए एक सख्त मैकेनिज़्म स्थापित करने और इस तरह के बकाया के भुगतान के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।

    याचिका में चीनी मिल के बीमार घोषित होने पर गन्ना किसानों को दुष्चक्र से बचाने के लिए तंत्र की मांग की गई है। आमतौर पर चीनी मिलों/कारखानों के समाधान या परिसमापन की प्रक्रिया के दौरान गन्ने की उपज का उनका बकाया भुगतान नहीं किया जाता है, जिससे वित्तीय स्थिति बिगड़ती है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने सीजेआई रमाना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि जिन गन्ना उत्पादकों को कानून के तहत वितरण के 15 दिनों के भीतर उनके बकाया का भुगतान किया जाना है, उन्हें भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वे एक आदेश की मांग कर रहे हैं कि जो लोग भुगतान नहीं कर रहे हैं उनकी संपत्ति कुर्क की जाए।

    सीजेआई एन वी रमाना ने टिप्पणी की कि,

    "पहले से ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला उपलब्ध है।"

    एडवोकेट ग्रोवर ने समझाते हुए कहा कि,

    "वह 2014 में था, अब नहीं। इसके संबंध में कोई मामला लंबित नहीं है।"

    सीजेआई ने कहा कि,

    "यूपी को 7550 करोड़, कर्नाटक को 3555 करोड़ और महाराष्ट्र को 230 करोड़ का भुगतान करना है।"

    एडवोकेट ग्रोवर ने प्रस्तुत किया कि,

    "कुल मिलाकर लगभग 18000 करोड़ हैं और हर साल कानून स्पष्ट होने के बावजूद वे भुगतान नहीं कर रहे हैं। राज्य केवल वसूली के आदेश जारी करते हैं और कुछ भी नहीं करते हैं। उन्हें चीनी इकट्ठा करनी चाहिए और इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के तरह बेचना चाहिए।"

    बेंच ने रिकॉर्ड किया कि,

    "हमने आदेश देखा है। नोटिस जारी करें। संबंधित राज्यों को नोटिस जारी करने की अनुमति है।"

    यह नोटिस भारत संघ और यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों सहित राज्यों को जारी किया गया है।

    अधिवक्ता कृष्ण कुमार के माध्यम से दायर वर्तमान याचिका में केंद्र और प्रतिवादी राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे गन्ना की बिक्री के लिए चीनी मिलों द्वारा चीनी मिलों या उनकी सहकारी समितियों को देय राशि, भुगतान की गई राशि और बकाया राशि का विवरण दें।

    चीनी मिलों और कारखानों के खिलाफ उनके द्वारा की गई कार्रवाई के विवरण को रिकॉर्ड में रखने के लिए भारत संघ और प्रतिवादी राज्यों को आगे के निर्देश मांगे गए हैं-

    1. चीनी मिलों द्वारा चीनी मिलों को गन्ने की बिक्री के लिए गन्ना उत्पादकों या उनके सहकारी को ब्याज सहित बकाया और बकाया का भुगतान नहीं किया गया है।

    2. केंद्र या राज्य सरकारों से चीनी मिलों को प्राप्त फंड का कपटपूर्ण उपयोग किया जा रहा है।

    याचिका में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन (पंजीकृत) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2014) के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार प्रतिवादी राज्यों को चीनी मिलों और कारखानों के पास पड़े चीनी स्टॉक को संलग्न करने और उसे बेचने और चीनी गन्ना उत्पादकों या उनकी सहकारी समिति को भुगतान करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है।

    याचिका में चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देशों का आग्रह करते हुए गन्ना उत्पादकों के बकाया को भुगतान करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।

    केस का शीर्षक: राजू शेट्टी एंड अन्य बनाम भारत संघ

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