सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत मामले में भाजपा विधायक को अंतरिम अग्रिम जमानत देने को चुनौती देने वाली कर्नाटक लोकायुक्त की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

27 March 2023 7:37 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत मामले में भाजपा विधायक को अंतरिम अग्रिम जमानत देने को चुनौती देने वाली कर्नाटक लोकायुक्त की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक लोकायुक्त की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक के. मदल विरुपक्षप्पा को रिश्वत मामले में अंतरिम अग्रिम जमानत देने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई। मगर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई।

    जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ नोटिस जारी करते हुए चिंतित कि यद्यपि याचिका कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा दायर की गई, कारण का टाइटल 'कर्नाटक राज्य' है।

    जस्टिस धूलिया ने इस संबंध में पूछा,

    "आप राज्य कैसे हो सकते हैं।"

    लोकायुक्त की ओर से पेश वकील ने खंडपीठ को अवगत कराया कि याचिका पुलिस के माध्यम से दायर की गई। इसलिए वाद टाइटल इस प्रकार है। खंडपीठ संतुष्ट नहीं लग रही थी।

    जस्टिस धूलिया ने टिप्पणी की,

    "पुलिस राज्य कैसे हो सकती है?"

    पृष्ठभूमि

    लोकायुक्त पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि विरुपक्षप्पा ने कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट लिमिटेड (केएसडीएल) में एक निश्चित निविदा को संसाधित करने के लिए अवैध रिश्वत की मांग की।

    शिकायत के आधार पर लोकायुक्त पुलिस ने याचिकाकर्ता और अन्य के खिलाफ पीसी (संशोधित) अधिनियम, 2018 की धारा 7 (ए) के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की। बाद में विरुपाक्षप्पा के बेटे वी प्रशांत मदल और अन्य आरोपियों को कथित तौर पर 40 लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। यह भी आरोप लगाया गया कि लोकायुक्त ने मार्च के पहले सप्ताह में विधायक के बेटे से आठ करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की थी।

    7 मार्च को हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उन्हें 5 लाख रुपये का निजी मुचलका भरने और अगले आदेश तक कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट लिमिटेड (केएसडीएल) के कार्यालय में प्रवेश नहीं करने की शर्त पर अंतरिम अग्रिम जमानत दी।

    बाद में बेंगलुरु की एक सिविल कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में विरुपाक्षप्पा के खिलाफ किसी भी "अपमानजनक राय" को प्रकाशित करने से कई मीडिया हाउस को प्रतिबंधित करते हुए एकपक्षीय अंतरिम आदेश पारित किया।

    [केस टाइटल: कर्नाटक राज्य बनाम के. मदल विरुपाक्षप्पा एसएलपी (सीआरएल) नंबर 3599/2023]

    Next Story