सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों को उनकी रजिस्टर्ड लाइफ तक चलाने की अनुमति को लेकर याचिका दायर करने वाले वकीलों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

Shahadat

24 May 2022 10:13 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने वाहनों को उनकी रजिस्टर्ड लाइफ तक चलाने की अनुमति को लेकर याचिका दायर करने वाले वकीलों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दो वकीलों द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में वाहनों को उनकी रजिस्टर्ड लाइफ के अंत तक डीजल और पेट्रोल दोनों रूपों में चलाने की अनुमति देने की मांग की गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं पर 50,000/- रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि जुर्माना की राशि लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को भुगतान की जाए।

    जस्टिस एलएन राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "हम पाते हैं कि वर्तमान याचिका कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। कम से कम इस न्यायालय के समक्ष प्रैक्टिस करने वाले वकील से यह जानने की उम्मीद की जाती है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के विपरीत याचिका दायर नहीं की जा सकती। पूर्व चेतावनी के बावजूद, याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से मामले पर बहस करता रहा। इसलिए, हमने याचिका को खारिज करने का आदेश पारित किया।"

    वकील ने जब अपनी दलीलें शुरू की थीं तो बेंच ने उन्हें आगाह किया था कि मांगी गई राहत सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ एनजीटी द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के खिलाफ है, लेकिन वकील ने किसी तरह बेंच को आठ मिनट का समय देने के लिए मना लिया।

    हालांकि पीठ ने वकील के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था, मगर इसके साथ ही पीठ को याचिका में कोई सार नहीं होने पर एक लाख रूपये प्रति मिनट का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी।

    पीठ के याचिका खारिज करने का आदेश पारित करने के बाद भी वकील ने बहस जारी रखी, पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "हम याचिका को खारिज करते समय आठ लाख रुपये का जुर्माना बहुत अच्छी तरह से लगा सकते है, जिसका हमने सुनवाई की शुरुआत में संकेत दिया था। हालांकि, हम किसी के लिए भी कठोर होना नहीं चाहते, जो सौभाग्य से या दुर्भाग्य से वकील हैं। इसलिए, हम इस मामले पर नरम रुख अपनाने के इच्छुक हैं।"

    पीठ ने मामले को बंद करने से पहले याचिकाकर्ताओं को यह भी चेतावनी दी कि अगर वह आगे से इस तरह के दुस्साहस में शामिल होगा तो अदालत को मामले पर कड़ा रुख अपनाना होगा।

    केस टाइटल: अनुराग सक्सेना और अन्य बनाम यूओआई और अन्य | रिट याचिका (सिविल) 199/2022

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