सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कहने पर भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने पर केंद्र सरकार पर 7,500 रूपये का जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

1 Feb 2022 7:08 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कहने पर भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने पर केंद्र सरकार पर 7,500 रूपये का जुर्माना लगाया

    Supreme Court of India

    राज्य में अल्पसंख्यकों को मान्यता देने में विफल रहने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में चार सप्ताह का समय दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस बार जवाबी हलफनामा दाखिल करने में विफल रहती है तो उसे सुप्रीम कोर्ट बार एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में 7,500 रुपये जुर्माना के तौर पर जमा करने होंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

    "हम याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के अनुरोध के अनुसार एससीबी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड में 7,500 रुपये का जुर्माना जमा करने के अधीन जवाबी हलफनामा जमा करने के लिए चार सप्ताह के लिए एक और अवसर प्रदान करते हैं। उसी समय के भीतर दो सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर दायर किया जाए। मामल को 28 मार्च को लिस्ट किया जाए।"

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने देखा कि 28.08.2020 को इस मामले में नोटिस जारी करने के बाद केंद्र सरकार ने 12.10.2020 को एक जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कहा था, जिसे आज तक दायर नहीं किया गया था। हालांकि 07.01.2022 को बेंच द्वारा अंतिम अवसर दिया गया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "स्थगन पत्र जारी किया गया था जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा आपत्ति की गई। हमने ध्यान दिया कि प्रतिवादी 12.10.2020 को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए उपस्थित हुए। बार-बार अवसरों के बावजूद जवाब दायर नहीं किया गया। प्रतिवादी को 07.01.2022 को अंतिम अवसर प्रदान किया गया था।"

    केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने पीठ को सूचित किया कि एक स्थगन पत्र जारी किया गया था।

    पीठ ने इससे निराश होकर कहा कि केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से इस तरह के पत्र प्रसारित कर रही है।

    पीठ ने कहा,

    "आप केवल पत्र प्रसारित कर रहे हैं। आपको एक स्टैंड लेना होगा। आप कितना समय लेंगे? बस ऑर्डर शीट को देखें।"

    एएसजी नटराज ने अदालत को अवगत कराया कि जवाबी हलफनामा दाखिल करने में देरी काफी हद तक COVID​​​​-19 के कारण हुई है।

    इस बात से परेशान होते हुए कि याचिका में उठाई गई चिंता के संबंध में केंद्र सरकार के लिए एक स्टैंड लेने का समय आ गया है, बेंच ने टिप्पणी की,

    "कोई बहाना मत बनाओ, मिस्टर नटराज। इसे स्वीकार करना हमें मुश्किल लगता है। 28 अगस्त को हमने आपको नोटिस जारी किया। 12.10.2020 को हमने जवाबी हलफनामा फाइल करने का समय दिया। उसके बाद कितने अवसर चले गए। आपने अब तीन महीने से जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, यह उचित नहीं है। आपको एक स्टैंड लेना होगा।"

    नटराज ने बेंच को आश्वासन दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करेंगे। इसमें कहा गया कि जवाबी हलफनामा लगभग तैयार है और अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहा है।

    उन्होंने कहा,

    "यह लगभग तैयार है। बस हमें अभी तक अंतिम मंजूरी नहीं मिली।"

    आदेश पत्र के अवलोकन पर पीठ ने कहा कि नटराज को पिछले अवसर पर अंतिम अवसर पहले ही दिया जा चुका है।

    पीठ ने कहा,

    "आखिरी अवसर के बाद श्रीमान नटराज, अवसर क्या है? कुछ अनुशासन होना चाहिए, आखिरी अवसर के बाद मैं ओर अवसर कैसे दूं। मुझे यह बहुत कठिन लगता है।"

    बेंच ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 14 को समान रूप से लागू करना कर्तव्यबद्ध है और इसलिए, केंद्र सरकार पर बार-बार अवसर दिए जाने के बाद जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने के लिए एक लागत लगाना उचित समझा।

    [मामला शीर्षक:: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ डब्ल्यूपी (सी) संख्या 836/2020]

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