सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की समस्या पर प्रकाश डाला; कहा- राष्ट्र का विकास मूल्यों पर निर्भर
Brij Nandan
25 Feb 2023 11:05 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि एक राष्ट्र के रूप में विकसित होने के लिए, हमें अपने मूल्यों की ओर लौटना होगा।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की स्थिति पर प्रकाश डाला।
बेंच ने कहा,
“लोकतंत्र के नाम पर क्या हो रहा है। कैसी नौकरशाही है हमारी, चुप रहना ही बेहतर है…..कोई टिप्पणी नहीं। एक राष्ट्र के रूप में विकसित होने के लिए सबसे पहले हमें मूल्यों की ओर लौटना होगा, हमें चरित्र हासिल करना होगा। यह हम में से प्रत्येक के पास जाता है। आप किसी भी सरकारी दफ्तर में चले जाइए; मैंने यह पहले भी कहा है। क्या कोई इस देश के नागरिक के रूप में पूरे सम्मान के साथ उस कार्यालय से बेदाग निकलेगा? पश्चिमी देशों में चले जाइए, आम आदमी कभी भ्रष्टाचार से नहीं जुड़ा होता। यहां, क्या होता है? यह मूल समस्या है। हमें चरित्र को फिर से हासिल करने की जरूरत है, इसके बिना कोई फायदा नहीं है।”
जस्टिस नागरत्न ने कहा कि सभी स्तरों पर जवाबदेही होनी चाहिए।
यह चर्चा तब हुई जब पीठ उन लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए याचिका पर विचार कर रही थी जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों में आरोप तय किए गए हैं।
सुनवाई के दौरान, वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने आंकड़े दिए कि पिछले वर्षों में आपराधिक मामलों में जिन राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई, उनकी संख्या कैसे बढ़ रही है।
न्यायालय ने बताया कि पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा द्वारा लिखे गए एक फैसले में कहा गया है कि न्यायालय इसमें मदद नहीं कर सकता है और कहा कि सरकार को इसके बारे में कुछ करना चाहिए।
न्यायालय ने मौजूदा मुद्दे को "महत्वपूर्ण" करार देते हुए अंतिम अवसर के माध्यम से अपना प्रतिवाद दायर करने के लिए केंद्र को तीन सप्ताह का समय दिया।
भारत निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील अमित शर्मा ने कहा कि यह पहलू संसद के दायरे में होगा।
उन्होंने कहा कि एक क़ानून के तहत संशोधन ईसीआई के दायरे में नहीं आएगा। हमारे सुधारों में, हमने राजनीति के अपराधीकरण पर इस चिंता को उठाया है।
उपाध्याय ने तर्क दिया,
“मैं केवल उन लोगों के लिए कह रहा हूं जिनके खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। अगर राजनीतिक दल इन व्यक्तियों की आपराधिक पृष्ठभूमि का पता लगाने में सक्षम नहीं हैं, तो यह समस्याग्रस्त है।”
जैसे ही सुनवाई हुई, खंडपीठ ने कहा कि केरल में, अगर जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिए जाते हैं, तो जुर्माना लगाया जाता है। कुछ राज्यों में ऐसे प्रावधान हैं।
उपाध्याय ने कहा कि इसलिए मैंने आधार को अपनी संपत्ति से जोड़ने के मसले पर जनहित याचिका दायर की। 25% मुद्दों का समाधान किया जाएगा।
कोर्ट ने जवाब दिया,
“ 75% अभी भी बाकी रहेगा।“
उपाध्याय ने ये भी कहा कि भारत को वास्तविक विमुद्रीकरण की आवश्यकता है, जैसा कि 1978 में हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि हमें अपने मूल्यों पर वापस लौटना होगा। इससे ये सभी समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगी।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा,
"हमें ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है जो राष्ट्र के निर्माता हों।"
जस्टिस जोसेफ ने मामले को 10 अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए कहा,
"हमें भी विनम्र होने की जरूरत है। मूल्य सभी भौतिक संपदाओं से अधिक महत्वपूर्ण हैं।"
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत सरकार