सुप्रीम कोर्ट ने शीना बोरा मर्डर केस में इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दी
Brij Nandan
18 May 2022 12:05 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इंद्राणी मुखर्जी को उनकी बेटी शीना बोरा की हत्या के मामले जमानत दे दी, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि वह 6.5 साल से हिरासत में है, और यह कि मुकदमा जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने नवंबर 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज करने के आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका में यह आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा कि मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है और अगर अभियोजन पक्ष 50 प्रतिशत गवाहों को छोड़ भी देता है, तो भी मुकदमा जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है।
पीठ को यह भी बताया गया कि मामले में सह-आरोपी इंद्राणी मुखर्जी के पति पीटर मुखर्जी को पहले जमानत मिल चुकी है। उन पर पति के साथ साजिश रचकर अपनी ही बेटी की हत्या करने का आरोप है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए। केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया।
अप्रैल, 2012 में मुंबई पुलिस में शीना बोरा के अपहरण और हत्या का आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज किया गया था। एक अन्य मामले में गिरफ्तार किए गए इंद्राणी के ड्राइवर ने बोरा की हत्या करना स्वीकार किया और मुंबई पुलिस को सूचित किया कि इंद्राणी हत्या में शामिल थी। सीबीआई ने 2015 में जांच शुरू की। इंदिरा को गिरफ्तार किया गया और उनके पति पीटर मुखर्जी को भी गिरफ्तार किया गया, जिन्हें मार्च 2020 में एक विशेष अदालत द्वारा जमानत दी गई थी।
मुखर्जी वर्तमान में भायखला जेल, मुंबई में बंद हैं। उन्होंने दिसंबर, 2021 में सीबीआई को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि वह एक कैदी का बयान दर्ज करने के लिए विशेष अदालत का रुख करेंगी, जिसने दावा किया कि वह कश्मीर में बोरा से मिला था। एक विशेष अदालत ने मुखर्जी के आवेदन को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने सीबीआई से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा।
2016 में मेडिकल आधार पर मुखर्जी की पहली जमानत याचिका को विशेष अदालत ने खारिज कर दिया। उसकी दूसरी याचिका सितंबर, 2017 में खारिज कर दी गई। इसमें विशेष अदालत ने कहा कि वह जेल के अंदर सुरक्षित रहेगी। नवंबर, 2018 में उसकी तीसरी याचिका को विशेष अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर वह रिहा हो जाती है तो वह सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकती है।
06.08.2020 को फिर से उसकी जमानत इस आधार पर खारिज कर दी गई कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते गवाहों को प्रभावित कर सकती है। 16.11.2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के रूप में सामग्री ने हत्या में उसकी प्रत्यक्ष संलिप्तता का दृढ़ता से समर्थन किया। मेडिकल आधार पर उसकी याचिका पर विचार करने पर यह राय दी गई कि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सावधानी बरती और उसे सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कीं।
यह देखते हुए कि मुकदमे में देरी रिहाई का आधार नहीं हो सकती, हाईकोर्ट ने कहा,
"यहां तक कि अगर ट्रायल शुरू हो गया है, तो इसमें कुछ समय लगने की संभावना है और वर्तमान मामले में रिहाई का आधार नहीं हो सकता है, विशेष रूप से मुखर्जी द्वारा किए गए कथित अपराध की प्रकृति को देखते हुए, जिसके लिए अभियुक्त के अपराध को साबित करने के लिए बड़ी संख्या में गवाह की आवश्यकता होती है फिर भी, एक साल से अधिक समय तक चलने वाली महामारी के कारण मुकदमे में देरी हुई, जिसे अभियोजन पर दोष नहीं दिया जा सकता है। "