आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड विश्वसनीय दस्तावेज नहीं : SIR मामले में ECI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

Amir Ahmad

22 July 2025 3:03 PM IST

  • आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड विश्वसनीय दस्तावेज नहीं : SIR मामले में ECI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

    सुप्रीम कोर्ट में दायर काउंटर हलफनामे में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने कहा कि बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनर्विचार (Special Intensive Revision - SIR) के दौरान मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह प्रक्रिया मतदाता सूचियों के ताज़ा पुनर्निर्माण की है।

    आयोग ने कहा कि यह पुनर्विचार प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) के तहत यानी नई शुरुआत से की जा रही है। चूंकि EPIC कार्ड पहले से मौजूद मतदाता सूचियों के आधार पर बनाए गए हैं, इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया में मान्यता देना इसकी वैधता को प्रभावित करेगा।

    उप चुनाव आयुक्त संजय कुमार द्वारा 21 जुलाई, 2025 को दायर हलफनामे में कहा गया है:

    EPIC कार्ड मतदाता सूची के आधार पर तैयार किए जाते हैं। जब स्वयं मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है तो EPIC कार्ड का प्रस्तुत किया जाना इस पूरी प्रक्रिया को निष्फल बना देगा। नई मतदाता सूची तैयार करने की अवधारणा और प्रक्रिया की वैधता को नुकसान पहुंचेगा यदि पुराने डाटा पर आधारित EPIC कार्ड को नई प्रविष्टियों के सत्यापन हेतु उपयोग में लाया जाए। EPIC सिर्फ पहले की प्रविष्टियों का प्रतिबिंब हैं। यह नए पंजीकरण की अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकते। केवल EPIC के आधार पर नाम जोड़ना या स्वत: जारी रखना, इस नई पुनर्विचार प्रक्रिया के उद्देश्य और नियमों के विरुद्ध होगा।”

    आधार पर आयोग की टिप्पणी:

    ECI ने आधार को भी मतदाता सूची में नाम जोड़ने हेतु मान्य दस्तावेज नहीं माना, क्योंकि यह नागरिकता को प्रमाणित नहीं करता, केवल पहचान का प्रमाण है।

    आयोग ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 9 का हवाला दिया, जो स्पष्ट करती है कि आधार संख्या का होना नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

    हालांकि, हलफनामे में यह भी कहा गया,

    यह नहीं कहा जा रहा कि आधार का उपयोग अन्य दस्तावेजों के साथ पूरक रूप में नहीं किया जा सकता। इसी कारण से प्रस्तुत दस्तावेजों की सूची केवल संकेतात्मक है पूर्ण नहीं।

    राशन कार्ड को लेकर आयोग की टिप्पणी:

    बिहार SIR में राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची से बाहर रखने पर आयोग ने कहा कि फर्जी राशन कार्डों की भारी संख्या इसका कारण है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार की 7 मार्च, 2025 की प्रेस रिलीज का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया था कि 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड हटाए गए हैं।

    हलफनामे में कहा गया,

    राशन कार्डों की व्यापक फर्जीता को देखते हुए इसे 11 स्वीकृत दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया, जिनके आधार पर संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता की जांच की जानी है।

    हालांकि, आयोग ने यह स्पष्ट किया कि ये दस्तावेज केवल पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं और सूची पूर्ण नहीं है।

    किसी दस्तावेज को स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय ERO/AERO के संतोष पर निर्भर है, जैसा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 22 और RER, 1960 के नियम 21(A) तथा अन्य प्रावधानों में निर्धारित है। प्रत्येक मामला कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार तय किया जाएगा।

    आयोग ने यह भी कहा कि उक्त दस्तावेज पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए SIR प्रक्रिया में पहले से ही उपयोग किए जा रहे हैं।

    SIR आदेश के तहत जारी एन्यूमरेशन फॉर्म में यह स्पष्ट है कि व्यक्ति स्वेच्छा से आधार संख्या दे सकता है, जिसका उपयोग केवल पहचान के लिए किया जाएगा।

    पृष्ठभूमि और अदालती टिप्पणी:

    ECI ने यह उत्तर 24 जून, 2025 के अपने आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं के जवाब में दिया है, जिसके तहत बिहार में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) के तहत विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू किया गया था।

    इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित है।

    बता दें, 17 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि नागरिकता का निर्धारण चुनाव आयोग का कार्य नहीं है बल्कि यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है।

    कोर्ट ने ECI से अनुरोध किया था कि बिहार SIR प्रक्रिया में आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को विचाराधीन रखा जाए।

    टाइटल – Association for Democratic Reforms & Ors. बनाम चुनाव आयोग और अन्य संबद्ध याचिकाएं

    Next Story