सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर लिस्ट को चुनौती देने वाली न्यायिक अधिकारी की अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

26 Feb 2022 1:38 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मध्य प्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी द्वारा दायर एक रिट याचिका खारिज कर दी। ये अधिकारी 31 मई, 2022 को सेवानिवृत्त होने वाली हैं और इन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी वरिष्ठता की सूची में त्रुटि के विवाद को उठाया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने विलंब होने पर वरिष्ठता की गणना की शिकायत पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि केवल एक अभ्यावेदन दाखिल करने से अधिकारों के दावे के लिए उपाय का सहारा लेने में 19 साल से अधिक की देरी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

    बेंच एक न्यायिक अधिकारी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रही थी। इसमें तर्क दिया गया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई त्रुटिपूर्ण सूची के कारण वह तीन साल की वरिष्ठता खो रही हैं और इससे पदोन्नति के लिए उनके नाम पर विचार करने के अवसर भी समाप्त होने की आशंका है।

    खंडपीठ ने कहा कि वरिष्ठता एक ऐसा तत्व है जिसे हाईकोर्ट में पदोन्नति के लिए न्यायिक अधिकारी के नाम पर विचार करने के साथ-साथ योग्यता और सर्विस रिकॉर्ड सहित अन्य प्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखा जाता है।

    पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस तथ्य की जानकारी है कि वरिष्ठता पांच जुलाई, 2002 के संदर्भ में तय की गई, जो उच्च न्यायिक सेवा में प्रवेश की तारीख है।

    पीठ ने कहा,

    "जैसा कि यह रिकॉर्ड पर है और चूंकि वरिष्ठता के मुद्दे को भी ऊपर निपटाया गया है, इसलिए हमें संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता। याचिका तदनुसार खारिज की जाती है।"

    "याचिकाकर्ता इस तथ्य से अवगत है कि वरिष्ठता पांच जुलाई, 2002 के संदर्भ में तय की गई थी, जो उच्च न्यायिक सेवा में प्रवेश की तारीख है। केवल एक अभ्यावेदन दाखिल करने से 19 साल से अधिक की देरी को दूर नहीं किया जा सकता, इसलिए वरिष्ठता की गणना की शिकायत को इतनी लंबी अवधि के विलंब पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।"

    रिट याचिका में आर.के. सभरवाल व अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को वरिष्ठता सूची में सुधार करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिकाकर्ता के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा परीक्षा आयोजित करने और परिणाम घोषित करने में देरी के कारण तीन साल की वरिष्ठता समाप्त हो रही है।

    केस विवरण: शोभा पोरवाल बनाम मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, WP(C) 920/2021

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