सुप्रीम कोर्ट ने खांसी की नकली दवाई के कारण 10 शिशुओं की मौत के मामले में मुआवजा देने के आदेश को चुनौती देने वाली जम्मू एंड कश्मीर की याचिका खारिज की

Manisha Khatri

12 Nov 2022 6:30 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक एसएलपी को खारिज कर दिया है, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के दो आदेशों को बरकरार रखा गया था। अपने आदेश में एनएचआरसी ने 'नकली' कफ सिरप का सेवन करने से मरने वाले 10 शिशुओं के परिवारों को मुआवजे के रूप में 3 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

    2 मार्च, 2021 को जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने एनएचआरसी के आदेशों को बरकरार रखा था।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि ड्रग एंड फूड कंट्रोल डिपार्टमेंट के संबंधित अधिकारियों ने लापरवाही बरती और इसलिए पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए राज्य उत्तरदायी है।

    '' हाईकोर्ट द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को पढ़ने के बाद और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि यह विशेष रूप से पाया गया है कि औषधि और खाद्य नियंत्रण विभाग (ड्रग एंड फूड कंट्रोल डिपार्टमेंट) के अधिकारी लापरवाह थे और इसलिए अंततः राज्य खांसी की नकली दवाई के कारण मरने वाले 10 बच्चों की मृत्यु के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा। हमें हाईकोर्ट के आक्षेपित निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिख रहा है। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।''

    सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रभारी अधिकारियों की खिंचाई करते हुए मामले पर विचार करने में अपनी अनिच्छा दिखाई थी।

    ''आपके अधिकारी लापरवाह पाए गए हैं...विभाग के बारे में बातें करने के लिए हमें मजबूर न करें। नागरिकों का स्वास्थ्य उनके हाथ में है लेकिन वे कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं। वे नागरिकों के जीवन के साथ नहीं खेल सकते हैं। इन सभी चीजों की जांच और सत्यापन करना उनका कर्तव्य है।''

    2 मार्च के आदेश को चुनौती देते हुए, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एंड कश्मीर द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि एनएचआरसी ने बिक्री के लिए भेजी जाने वाली दवाओं की सामग्री पर नियमित रूप से निगरानी रखने में ड्रग्स और खाद्य नियंत्रण विभाग की ओर से की गई चूक के लिए उनको मनमाने ढंग से जिम्मेदार ठहराया था। ।

    याचिका में कहा गया कि जब एनएचआरसी के आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, तो हाईकोर्ट रिकॉर्ड पर आई सामग्री को नोट करने में विफल रहा और इस तरह दो आदेशों के माध्यम से याचिका को खारिज कर दिया गया।

    आयोग के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने एक रिपोर्ट के माध्यम से, उनके द्वारा उठाए गए कठोर कदमों के बारे में विस्तार से बताया था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत अपने वैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में राज्य औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी गई है।

    हालांकि, एसएलपी में कहा गया कि पीड़ितों के परिवारों को 3 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देने से पहले एनएचआरसी ने याचिकाकर्ताओं की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया।

    एनएचआरसी को इस तथ्य से भी अवगत कराया गया था कि सक्षम अदालत के समक्ष ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 18 और 27 के संदर्भ में नकली दवा के निर्माता और आपूर्तिकर्ता के खिलाफ एक वैधानिक शिकायत दर्ज की गई थी, जिसने मामले पर संज्ञान लिया है और वह मामला निर्णय के लिए लंबित है।

    ''यह ध्यान रखना उचित है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 27 स्पष्ट रूप से निर्माता को दंडनीय अपराध के रूप में घटिया और नकली दवा की बिक्री के लिए जिम्मेदार बनाती है, इसके अलावा निर्माता के खिलाफ मुआवजे के लिए एक दायित्व भी तय करती है जहां उक्त दवा के उपयोग /सेवन के कारण क्षति या मृत्यु हुई हो।''

    केस टाइटल-केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर व अन्य बनाम एनएचआरसी व अन्य,एसएलपी (सी) संख्या 8345/2021

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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