MBBS : "चार प्रयास काफी नहीं हैं?", सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम वर्ष की परीक्षा के प्रयासों की संख्या को सीमित करने के एनएमसी रेगुलेशन को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की

Sharafat

10 Feb 2023 1:00 PM GMT

  • MBBS : चार प्रयास काफी नहीं हैं?, सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम वर्ष की परीक्षा के प्रयासों की संख्या को सीमित करने के एनएमसी रेगुलेशन को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) द्वारा 2019 में पेश किए गए विनियमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में एनएमसी के विनियमन को चुनौती दी गई थी, जिसमें प्रथम वर्ष की परीक्षा को पास करने के प्रयासों की संख्या चार प्रयासों तक सीमित कर दी गई थी। इस नियम के लागू होने से पहले प्रयासों की संख्या की कोई सीमा नहीं थी।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ,जस्टिस पीएस नरसिम्हा और,जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा, "चार प्रयास पर्याप्त नहीं हैं?"

    वकील ने जवाब दिया कि चुनौती केवल नियमों के पूर्वव्यापी लागू करने के लिए थी, जो नवंबर 2019 में जून 2019 से शुरू हुए बैच के लिए लाए गए थे।

    सीजेआई ने कहा,

    "इसमें कोई कानूनी बिंदु नहीं है।"

    वकील ने तर्क दिया कि नियम भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम की धारा 19ए के विपरीत हैं। उन्होंने बताया कि पहले के नियमों ने असीमित प्रयास की अनुमति दी गई थी। जब नया रेगुलेशन प्रस्तावित किया गया था तो शुरुआती प्रस्ताव 2020-21 से शुरू होने वाले बैच से ही इसे लागू करने का था, इसलिए 2019-2020 बैच के लिए इसके लागू करने को चुनौती दी गई थी। वकील ने महामारी के दौरान क्लास में व्यवधान का हवाला देते हुए अदालत से अनुग्रह की मांग की।

    एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने प्रस्तुत किया कि विनियमन 06.11.2019 को अधिसूचित किया गया था, लेकिन यह उन छात्रों के लिए लागू किया गया था जो जून 2019 में शामिल हुए थे। पूर्वव्यापी रूप से लागू करना वाटिका स्वामित्व मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत है।

    सीजेआई ने कहा,

    "आपको अभी भी चार प्रयास करने हैं।"

    पटवालिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि COVID पारिसथितियां याचिकाकर्ताओं के मामले को मजबूत बनाता है। उन्होंने बताया कि केरल हाईकोर्ट ने 2019-2020 बैच के छात्रों को अनुकंपा के आधार पर कठोर कार्रवाई से बचाने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया है।

    सीजेआई ने कहा,

    "यह बिल्कुल गलत सहानुभूति है।"

    सीजेआई ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, "हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसमें कोई कानून बिंदु नहीं है। कुछ भी नहीं। हम सुनवाई नहीं करेंगे।" बैच में तीन विशेष अनुमति याचिकाएं और एक रिट याचिका थी।

    सीजेआई ने बुधवार को भी याचिका पर अस्वीकृति व्यक्त की थी, जब उनके सामने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया था।

    जब वकील ने तारीख के लिए जोर दिया तो सीजेआई ने टिप्पणी की थी-

    " हम केवल शिक्षा के लिए कोना काट रहे हैं। ये डॉक्टर हैं - आप चार बार असफल हुए और फिर से पेश होना चाहते हैं। यह सब करने के बजाय अपना काम करें, इसके लिए अदालतों में आएं। दुनिया में कहीं भी इसकी अनुमति नहीं होगी।" हम किस तरह के डॉक्टर पैदा करने जा रहे हैं?"

    2019 में स्नातक चिकित्सा शिक्षा पर विनियम (संशोधन) 2019 को स्नातक चिकित्सा शिक्षा, 1997 पर विनियमों में संशोधन करने के लिए पारित किया गया था। संशोधित नियम निम्नानुसार हैं " एक उम्मीदवार को प्रथम व्यावसायिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए चार से अधिक प्रयासों की अनुमति नहीं दी जाएगी। फर्स्ट प्रोफेशनल कोर्स के सफल समापन की कुल अवधि चार (4) वर्ष से अधिक नहीं होगी। किसी भी विषय में परीक्षा में आंशिक उपस्थिति को एक प्रयास के रूप में गिना जाएगा।"

    केस टाइटल: सचिन और अन्य बनाम भारत संघ एसएलपी (सी) नंबर 22716/2022, डब्ल्यूपी (सी) नंबर 1122/2022, एसएलपी (सी) नंबर 24055/2022 और एसएलपी (सी) नंबर 2886/2023

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