सुप्रीम कोर्ट गुजरात हाईकोर्ट द्वारा बलात्कार पीड़िता की अबॉर्शन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने में देरी से निराश कहा, 'मूल्यवान समय नष्ट हुआ'

Shahadat

19 Aug 2023 11:07 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट गुजरात हाईकोर्ट द्वारा बलात्कार पीड़िता की अबॉर्शन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने में देरी से निराश कहा, मूल्यवान समय नष्ट हुआ

    सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को बलात्कार पीड़िता की 28 सप्ताह के करीब की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए विशेष सुनवाई आयोजित की। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहत देने से इनकार करने के बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने सुबह 10.30 बजे विशेष बैठक की।

    याचिकाकर्ता के वकील शशांक सिंह ने प्रस्तुत किया कि मेडिकल बोर्ड ने प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने के पक्ष में राय दी। हालांकि, हाईकोर्ट ने गर्भपात की याचिका पर विचार नहीं किया।

    वकील ने खंडपीठ को सूचित किया कि 7 अगस्त को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई और अदालत ने 8 अगस्त को मामले की सुनवाई की, जिस तारीख को प्रेग्नेंसी की स्थिति का पता लगाने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश पारित किया गया। 10 अगस्त को बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी गई। 11 अगस्त को कोर्ट ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया और मामले को 23 अगस्त के लिए पोस्ट कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा मामले को 12 दिन बाद पोस्ट करने पर हैरानी जताई।

    जस्टिस नागरत्ना ने निराश होते हुए कहा,

    "अदालत इसे 23 अगस्त तक कैसे रोक सकती है? तब तक कितने मूल्यवान दिन बर्बाद हो चुके होंगे!"

    खंडपीठ ने आदेश में अपना असंतोष दर्ज किया, यह कहते हुए:

    "अजीब बात है कि हाईकोर्ट ने मामले को 12 दिन बाद 23.08.2023 को पोस्ट कर दिया, इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए कि हर दिन की देरी महत्वपूर्ण थी और तथ्यों के संबंध में बहुत महत्वपूर्ण है। हमने पाया कि 11.08.2023 के बीच बहुमूल्य समय नष्ट हो गया, जब रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष रखी गई और आदेश में कहा गया कि मामला 23.08.2023 तक रहेगा।

    वकील ने आगे कहा कि मामला हालांकि 17 अगस्त को हाईकोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया, जिस दिन याचिका खारिज कर दी गई। हालांकि अभी तक बर्खास्तगी का आदेश अपलोड नहीं किया गया। इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को गुजरात हाईकोर्ट रजिस्ट्री से पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या आदेश अपलोड किया गया।

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

    "हम आदेश का इंतजार करेंगे। हम आदेश के बिना कैसे आगे बढ़ सकते हैं?

    जस्टिस नागरत्ना ने इसके साथ ही नाराजगी व्यक्त की।

    खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दोबारा मेडिकल जांच कराने का निर्देश दिया और उसे एक बार फिर जांच के लिए अस्पताल में उपस्थित होने का निर्देश दिया। रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करनी है। खंडपीठ इस मामले की पहली सुनवाई सोमवार को फिर करेगी।

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