सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तारी और जमानत आवेदनों को सूचीबद्ध करने की शक्ति पर राजस्थान हाईकोर्ट के प्रतिबंध को खारिज किया

LiveLaw News Network

29 Sep 2021 7:25 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तारी और जमानत आवेदनों को सूचीबद्ध करने की शक्ति पर राजस्थान हाईकोर्ट के प्रतिबंध को खारिज किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश को अस्वीकार कर दिया, जिसके तहत महामारी और लॉकडाउन के मद्देनजर 17 जुलाई, 2021 तक पुलिस को ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार करने से रोक दिया गया था, जो केवल उन अपराधों के आरोपी हैं, जिनमें अधिकतम तीन साल की कैद की सजा है।

    हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने आक्षेपित आदेश पारित किया था। साथ ही रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि ऐसे अपराध, जिनमें अधिकतम सजा तीन साल तक हो, उनमें अग्रिम जमानत की मांग के आवेदनों को सूचीबद्ध न किया जाए।

    सुप्रीम कोर्ट राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर फैसला सुना रहा था, जिसमें सिंगल बेंच (राजस्थान हाईकोर्ट बनाम राजस्थान राज्य और अन्य ) के उपरोक्त आदेशों को चुनौती दी गई थी ।

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने राजस्‍थान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के दोनों निर्देशों (गिरफ्तारी पर प्रतिबंध और जमानत आवेदनों की सूचीबद्ध करने पर रोक) पर असहमति व्यक्त की।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्दिष्ट मामलों में जमानत आवेदनों को सूचीबद्ध करने के खिलाफ निर्देश व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी के खिलाफ निर्देश में "जांच की शक्ति पर बेड़ियां डालने" की क्षमता थी।

    हालांकि, चूंकि दोनों आदेश पहले ही काम कर चुके हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक रूप से उन्हें रद्द करने से परहेज किया। ज‌िस्टिस बोस ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दायर अपीलों को उपरोक्त टिप्पणियों के साथ स्वीकार किया गया है।

    जस्टिस बोस ने कहा कि बेंच ने शुरू में मामले के निपटारे को निष्फल माना था, क्योंकि निर्देशों पर काम हो गया है। हालांकि, पीठ ने मामले में शामिल मुद्दों से कहीं आगे जाकर ऐसे निर्देश जारी करने की वैधता और औचित्य पर विचार करने का फैसला किया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो विशेष अनुमति याचिकाएं थीं - एसएलपी (सीआरएल) संख्या 5618/2020 और एसएलपी (सीआरएल) संख्या 3949/2021।

    पहली याचिका ने पिछले साल 30 मार्च को हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें रजिस्ट्री को निर्देश दिया गया था कि वह लॉकडाउन की अवधि के दौरान जमानत और सजा निलंबन के लिए आवेदनों को तत्काल मामलों के रूप में सूचीबद्ध न करे।

    दूसरी एसएलपी ने इस वर्ष 17 मई को एकल पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसमें सजा के रूप में 3 साल से कम कारावास के मामलों में गिरफ्तारी के संबंध में पुलिस के खिलाफ संयम आदेश और जिन मामलों में सजा के तौर पर 3 साल कैद की सजा सुनाई गई है, उनमें अग्रिम जमानत आवेदनों को सूचीबद्ध नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

    संयोग से, दोनों आक्षेपित आदेश जस्टिस पंकज भंडारी की पीठ ने पारित किए थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने दोनों आदेशों के संचालन पर पहले ही रोक लगा दी थी। 30 मार्च, 2020 को पारित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल , 2020 को रोक लगा दी थी। 17 मई, 2021 को पारित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने 25 मई, 2021 को रोक लगा दी थी ।

    शीर्षक: हाईकोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर फॉर राजस्‍थान बनाम राजस्थान राज्य और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 5618/2020 और एसएलपी (सीआरएल) संख्या 3949/2021)

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