सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया

Brij Nandan

22 Aug 2022 12:41 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों (Maharashtra Local Poll) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) से संबंधित मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। इसका मतलब यह है कि ओबीसी कोटा फिलहाल 367 स्थानीय निकायों में लागू नहीं किया जा सकता है, जहां चुनाव प्रक्रिया पहले ही अधिसूचित की जा चुकी है।

    सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ, जिसमें भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे, महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर एक आवेदन पर विचार कर रही थी, जिसमें 20 जुलाई और 28 जुलाई के आदेशों को वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में राज्य चुनाव आयोग द्वारा 367 स्थानीय निकायों में चुनाव प्रक्रिया को फिर से अधिसूचित करने की मांग की गई है, जहां चुनाव प्रक्रिया पहले से ही अधिसूचित है, ताकि ओबीसी कोटा लागू किया जा सके।

    विशेष पीठ ने आज कहा कि वह मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेगी और निर्देश दिया कि इस बीच पांच सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखी जाए।

    सीजेआई ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा,

    "आप चाहते हैं कि चुनाव आयोग ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के लिए फिर से अधिसूचित करे। मैं इस मामले को अंतिम निपटान के लिए नहीं ले सकता। यथास्थिति बनाए रखें और इसे 4 से 6 सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा।"

    तदनुसार, अदालत ने मामले में 5 सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है और कहा है कि इसके लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा।

    अपने आदेश दिनांक 20.07.2022 के अनुसार, अदालत ने पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार, स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण की अनुमति दी थी, जहां चुनाव प्रक्रिया को दो सप्ताह की अवधि के भीतर अधिसूचित किया जाना था। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उन 367 स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है जहां चुनाव प्रक्रिया को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।

    पूरा मामला

    महाराष्ट्र राज्य ने दिनांक 20.07.2017 के आदेश में सुधार की मांग करते हुए बेंच से संपर्क किया था। उक्त आदेश में पीठ ने दो सप्ताह की अवधि के भीतर स्थानीय निकायों (जहां चुनाव प्रक्रिया को अधिसूचित किया जाना था) में पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुसार ओबीसी आरक्षण की अनुमति दी थी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन 367 स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है जहां चुनाव प्रक्रिया को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।

    हालांकि, अपनी पिछली सुनवाई में, अदालत को अवगत कराया गया था कि राज्य चुनाव आयोग ने 367 स्थानीय निकायों के लिए 'नए चुनाव कार्यक्रम' की घोषणा करने का प्रस्ताव दिया है, जिसके लिए चुनाव प्रक्रिया को पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है।

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई और कहा कि राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) इन 367 स्थानीय निकायों के संबंध में आरक्षण प्रदान करने के लिए चुनाव कार्यक्रम को फिर से अधिसूचित नहीं कर सकता है और न ही करेगा।

    अदालत ने कहा था कि यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो कोर्ट एसईसी और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगा।

    केस टाइटल: राहुल रमेश वाघ बनाम महाराष्ट्र राज्य एंड अन्य। एसएलपी (सी) संख्या 19756/2021


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