सुप्रीम कोर्ट ने कानून और न्याय मंत्रालय को सभी न्यायाधिकरणों के न्यायिक प्रभाव का आकलन जल्द से जल्द करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

22 March 2023 12:04 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने कानून और न्याय मंत्रालय को सभी न्यायाधिकरणों के न्यायिक प्रभाव का आकलन जल्द से जल्द करने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण (OAT) को समाप्त करने के लिए जारी अधिसूचना को बरकरार रखा है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में 2019 में अधिसूचना जारी की थी।

    साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश, जिसमें ट्र‌‌िब्यूनल को समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा गया था, के खिलाफ ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट की बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थे।

    अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि कानून और न्याय मंत्रालय को रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड के मामले में उसके निर्देशों के अनुसार न्यायाधिकरणों के "न्यायिक प्रभाव का आकलन" करना चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने रोजर मैथ्यू मामले में ट्रिब्यूनल के लिए केंद्र द्वारा 2017 में बनाए गए नियमों को रद्द करते हुए, यह माना था कि वित्त अधिनियम, 2017 के लिए संदर्भित सभी ट्रिब्यूनलों के "न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन" करने के लिए आवश्यकता-आधारित आवश्यकता (need-based requirement) है, ताकि वित्त अधिनियम, 2017 के तहत प्रदान किए गए न्यायाधिकरणों के ढांचे में परिवर्तनों के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सके। जिसके बाद अदालत ने कानून और न्याय मंत्रालय को इस तरह के न्यायिक प्रभाव का आकलन करने और सक्षम विधायी प्राधिकारी के समक्ष निष्कर्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

    कोर्ट ने कहा कि रोजर मैथ्यू मामले में 13 नवंबर 2019 को फैसला सुनाए जाने के बावजूद कानून और न्याय मंत्रालय ने तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक न्यायिक प्रभाव का आकलन नहीं किया है।

    कोर्ट ने कहा,

    "एक मूल्यांकन, जैसा करने का निर्देश ‌दिया गया है, केवल न्याय वितरण में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डालेगा। मूल्यांकन की कमी देश में अधिकरणों के संबंध में किसी भी अच्छी तरह से सूचित, बुद्धिमान कार्रवाई को रोकती है। बदले में इससे नागरिकों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है..

    इसलिए हम रोजर मैथ्यू (सुप्रा) में इस न्यायालय के निर्देशों को दोहराते हैं और कानून और न्याय मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि जल्द से जल्द न्यायिक प्रभाव का आकलन करें।"

    हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, ओएटी को समाप्त करने से पहले न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन करने में केंद्र सरकार की विफलता ने ओएटी को समाप्त करने के अपने फैसले को खराब नहीं किया।

    यह देखते हुए कि रोजर मैथ्यू में पारित निर्देश "सामान्य प्रकृति" का था, पीठ ने कहा कि निर्देश ओएटी जैसे विशिष्ट न्यायाधिकरणों को खत्म करने के प्रस्तावों की दिशा में तैयार किया गया था।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "रिक्तियों को भरने के अलावा, मामले के भार, प्रभावकारिता, वित्तीय प्रभाव और बड़े पैमाने पर न्यायाधिकरणों की पहुंच को बेहतर ढंग से समझने के लिए न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया था।"

    अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, केंद्र सरकार ने रोजर मैथ्यू के फैसले से पहले ओएटी को समाप्त करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी, इस प्रकार न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन करने में विफलता के कारण ओएटी को समाप्त करने का फैसले को खराब नहीं होता है।

    केस टाइटल: उड़ीसा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया और अन्य | सिविल अपील नंबर 6805 ऑफ 2022

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 216

    फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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