सुप्रीम कोर्ट ने 21 साल पुराने मामले में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का आदेश दिया, मृतक की विधवा को दो लाख रुपये देने का भी निर्देश

Sharafat Khan

21 July 2020 8:35 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने 21 साल पुराने मामले में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का आदेश दिया, मृतक की विधवा को दो लाख रुपये देने का  भी निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस निर्णय को बरकरार रखा है जिसमें उसने भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) को अपने पूर्व कर्मचारी की पत्नी को अनुकम्पा के आधार पर नौकरी देने का आदेश दिया था। संबंधित कर्मचारी का 1999 में कंपनी परिसर में चोरी होने से बचाने के क्रम में अपहरण हो गया था, उसके बाद से उसका आज तक कोई अता-पता नहीं मिला।

    न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के प्रावधानों के तहत उत्पन्न अनुमान के संदर्भ में सही विचार किया था।

    धारा 108 यह कहती है कि जब सवाल यह है कि कोई आदमी जिंदा है या मर चुका है और यह साबित हो चुका है कि उस आदमी के बारे में सात साल तक उन लोगों को भी कुछ पता नहीं चला, जिन्हें प्राकृतिक तौर मालूम जरूर होता, यदि वह आदमी जिंदा होता, ऐसी स्थिति में लापता व्यक्ति के जिंदा होने का दावा साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति पर चला जाता है, जिसने उसके जिंदा होने की पुष्टि की है।

    इस बात पर गौर करते हुए कि मौजूदा मामले में पूर्व कर्मचारी को पिछले 20 साल से न देखा गया, न सुना गया, कोर्ट ने कहा, "हमें विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करने का कोई कारण नहीं दिखता।"

    जब इस मामले की पहली बार (कलकत्ता हाईकोर्ट) में सुनवाई हुई थी तब एकल पीठ ने कहा था,

    "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जहां प्रतिवादियों के एक कर्मचारी ने अपने जान की बाजी लगाकर उन बदमाशों का कड़ा प्रतिरोध किया जो कंपनी के बहुमूल्य सामान चुराने आये थे। जब बदमाश ऐसा नहीं कर सके तो उन्होंने उस कर्मचारी को अगवा कर लिया और उसकी हत्या कर दी तथा लाश को दामोदर नदी के तट पर छुपा दिया था। यह पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट से पता चलता है।"

    एकल पीठ ने इसके आधार पर बीसीसीएल को आदेश दिया कि वह मृतक कर्मचारी के उत्तरजीवियों में से किसी एक को, या तो विधवा पत्नी को या मृतक के बालिग बेटे को, नौकरी प्रदान करे।

    एकल पीठ के इस फैसले को छह साल की देरी के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गयी थी। खंडपीठ ने अपील खारिज कर दी थी। उसके बाद बीसीसीएल ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने संबंधित आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने (शुक्रवार, 19 जुलाई को) आदेश दिया, "हम याचिकाकर्ता को आदेश देते हैं कि वह एकल न्यायाधीश के आदेश पर आज से एक माह के भीतर अमल करेगा। याचिकाकर्ता मृतक की विधवा को खर्चे के तौर पर दो लाख रुपये भी देगा।

    कोर्ट ने कंपनी को पूर्व कर्मचारी के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया है, 'जो 20 साल से इधर-उधर भटकता रहा।'

    न्यायालय ने बीसीसीएल को छह सप्ताह के भीतर आदेश पर अमल को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

    केस का ब्योरा :

    केस का शीर्षक : भारत कोकिंग कोल लिमिटेड एवं अन्य बनाम रुदा देवी एवं अन्य

    केस नं. : एसएलपी (सिविल) डायरी नं. 8963/2020

    कोरम : न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ

    वकील : एएसजी विक्रमजीत बनर्जी, एओआर नीरज कुमार गुप्ता और एडवोकेट श्रुति अग्रवाल तथा रंजीत कुमार सिंह (बीसीसीएल के लिए)

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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