सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेशों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट की निंदा की

Shahadat

31 Aug 2023 10:19 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेशों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट की निंदा की

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए अंतरिम आदेशों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन का निर्देश देने की प्रथा की निंदा की। इस आदेश में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग को स्वनिर्भर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज संचालक महामंडल (गुजरात में स्ववित्तपोषित होम्योपैथी कॉलेजों का एक संघ) की रिट याचिका के निपटान तक रिक्त सीटों पर स्टूडेंट को एडमिशन देने का निर्देश दिया गया था।

    जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार अंतरिम आदेशों द्वारा एडमिशन का निर्देश देने की प्रथा की निंदा की है। हालांकि खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह निर्दिष्ट किया गया है कि एडमिशन याचिका के परिणाम के अधीन ही होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

    “चूंकि हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रवेश वर्तमान याचिका के नतीजे के अधीन होंगे, हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि हम इस तरह की प्रथा की निंदा करते हैं।

    हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को बाहरी सीमा के रूप में छह सप्ताह की समय सीमा निर्धारित करते हुए रिट याचिका का शीघ्र निपटान करने का निर्देश दिया है।

    स्वनिर्भर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज संचालक महामंडल (एसएलपी में प्रतिवादी) ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था इस बात से व्यथित होकर कि राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (एसएलपी में याचिकाकर्ता) ने अपने कॉलेजों में उन स्टूडेंट को एडमिशन नहीं दिया जिन्होंने न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं किए थे। होम्योपैथी (पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स) एमडी (होम.) विनियम, 1989 (पीजी) के विनियम 4 के उप-विनियम 2 के अनुसार शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अखिल भारतीय आयुष पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन एग्जाम (एआईएपीजीईटी) में भाग लेने के लिये न्यूनतम 50% अंको की सीमा निर्धारित की गयी थी। याचिकाकर्ता का मामला यह है कि इस विनियमन को कर्नाटक निजी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन एसोसिएशन बनाम भारत संघ मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश दिनांक 31.08.2021 में रद्द कर दिया है।

    हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन को अंतरिम राहत देते हुए प्रतिवादी को एसोसिएशन के कॉलेजों को खाली सीटों पर स्टूडेंट को एडमिशन देने की अनुमति देने का निर्देश दिया है। उन्हें कॉलेजों में गर्मी की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स को बढ़ाने का भी निर्देश दिया गया है।

    गुजरात हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए तर्क दिया,

    “..जब उक्त निर्णय के खिलाफ कोई रोक नहीं दी गई तो यह प्रतिवादी प्राधिकारी और विशेष रूप से प्रतिवादी नंबर 2 से अपेक्षित है कि उन स्टूडेंट को समान व्यवहार दिया जाना चाहिए, जो विनियम 4(1) के अनुसार पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन के लिए पात्र हैं और गुजरात राज्य के कॉलेजों को अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। जब विनियम 4 के संशोधित उप-विनियम 2 रद्द कर दिया गया और उसकी व्याख्या के बाद अलग रखा गया, जो पूरे भारत के सभी होम्योपैथी कॉलेजों पर लागू होता है, तो प्रतिवादी नंबर 2 से इसकी अपेक्षा नहीं की जाती है। अवैध तकनीकी आपत्ति लेने के लिए कि एडमिशन 08.04.2023 को समाप्त हो चुके हैं। वास्तव में, प्राधिकरण को पीजी विनियमों के विनियम 4 के उप-विनियम 1 में उल्लिखित शर्तों का अनुपालन करने वाले सभी स्टूडेंट को एडमिशन देना चाहिए और विशेष रूप से तब जब उन स्टूडेंट को पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन दिया जाता है तो कोई भी स्टूडेंट प्रभावित नहीं होता।

    केस टाइटल: राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग बनाम स्वानिर्भर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज संचालक महामंडल गुजरात राज्य और अन्य, अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) नंबर। 17469/2023

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