दिल्ली हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने BJP नेताओं के खिलाफ FIR की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट भेजा, 6 मार्च को सुनवाई करने को कहा

LiveLaw News Network

4 March 2020 8:20 AM GMT

  • दिल्ली हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने BJP नेताओं के खिलाफ FIR की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट भेजा, 6 मार्च को सुनवाई करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह शुक्रवार (6 मार्च) को उन याचिकाओं पर सुनवाई करे जिसमें पिछले हफ्ते उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में हुए दंगों के मद्देनजर कथित हेट स्पीच के लिए बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। पीठ ने हाईकोर्ट से मामले को तेजी से सुनने का अनुरोध किया है

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की कि उच्च न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई को लंबे वक्त तक टाला जाना उचित नहीं है।

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा, "हमें नहीं लगता कि मामले को स्थगित करने की ऐसी अवधि की सीमा उचित है। हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि शुक्रवार को मामले की सुनवाई हो।"

    "हमारा इरादा उन राजनीतिक नेताओं को तलाश करना है जो लोगों से बात करने और शांति लाने के लिए उचित हैं। आप दिल्ली उच्च न्यायालय में भी ऐसा कर सकते हैं, " मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा।

    कोर्ट ने इस आदेश में यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट को एक शांतिपूर्ण प्रस्ताव की संभावना तलाशनी चाहिए।

    गौरतलब है कि 27 फरवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने हर्ष मंदर द्वारा दायर याचिका की सुनवाई 13 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी थी।

    गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दो याचिकाओं पर सुनवाई की जिनमें से एक 9 दंगा पीड़ितों के एक समूह द्वारा दायर की गई थी, जिसकी अगुवाई शेख मुजतबा फारूक ने की है जबकि दूसरी याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की है।

    दोनों दलीलों में नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है जिसके चलते पिछले हफ्ते उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़की थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने दंगा पीड़ितों की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया और कहा कि हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को पहले की याचिका के साथ ही मामले को सूचीबद्ध करे।

    वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से भड़काऊ भाषण दिए गए थे और इसलिए इस समय एफआईआर का पंजीकरण शांति भंग कर सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि 26 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर की अगुवाई वाली बेंच द्वारा दिल्ली पुलिस को एक दिन के भीतर एफआईआर पर फैसला लेने के लिए दिया गया आदेश सही नहीं था।

    दंगा पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिया गया स्थगन मामले को 'ध्वस्त करने' के लिए था।

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