न्यायिक प्रक्रिया पर AI को हावी नहीं होने देंगे, इसका इस्तेमाल बेहद सावधानी से कर रहे हैं: सीजेआई सूर्यकांत

Amir Ahmad

5 Dec 2025 5:58 PM IST

  • न्यायिक प्रक्रिया पर AI को हावी नहीं होने देंगे, इसका इस्तेमाल बेहद सावधानी से कर रहे हैं: सीजेआई सूर्यकांत

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के कथित दुरुपयोग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) सूर्यकांत ने स्पष्ट कहा कि जज AI के इस्तेमाल को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं और ऐसा कोई सवाल ही नहीं है कि इसके प्रयोग को अनियंत्रित तरीके से होने दिया जा रहा हो। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका किसी भी सूरत में AI या मशीन लर्निंग को न्यायिक निर्णय प्रक्रिया पर हावी नहीं होने देगी।

    चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालतों में जेनरेटिव AI के कथित अनियमित उपयोग को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई।

    इस पर टिप्पणी करते हुए CJI ने कहा,

    “हमारे द्वारा अनियंत्रित उपयोग का कोई सवाल ही नहीं है। मैं और मेरे सभी भाई-बहन (जज) पहले भी कई बार कह चुके हैं कि हम AI का उपयोग बेहद सावधानी के साथ कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि AI या मशीन लर्निंग न्यायिक निर्णय प्रक्रिया पर हावी हो।”

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट अनुपम लाल दास ने दलील दी कि कुछ मामलों में वकीलों द्वारा AI से तैयार किए गए फर्जी न्यायिक मिसाल (फेक प्रीसिडेंट्स) अदालतों में पेश किए गए। इस पर चीफ जस्टिस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे नकली प्रीसिडेंट्स संभवतः इसलिए सामने आए हैं, क्योंकि कुछ वकीलों ने खुद ऐसे काल्पनिक फैसलों का हवाला दिया होगा। उन्होंने साफ किया कि वकीलों को भी AI के दुरुपयोग को लेकर सतर्क रहना होगा और झूठे या गढ़े हुए दस्तावेजों पर निर्भर रहना उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों के खिलाफ है।

    सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी AI पर व्हाइट पेपर का भी उल्लेख किया और केरल हाईकोर्ट की उस हालिया नीति का हवाला दिया, जिसमें जिला न्यायपालिका में AI के जिम्मेदार उपयोग के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए गए। इस पर CJI ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट को इन प्रयासों की जानकारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे स्वयं हाईकोर्ट की नीति से जुड़े शीर्ष स्तर के अधिकारियों के संपर्क में हैं और ऐसी नीतियां व्यापक परामर्श के बाद ही बनाई जाती हैं।

    खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपने सुझाव अदालत के प्रशासनिक पक्ष के समक्ष रख सकते हैं, जहां उन पर समुचित विचार किया जा सकता है। इस पर सहमति जताते हुए सीनियर एडवोकेट ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।

    अदालत ने याचिका को वापस लिया हुआ मानते हुए खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी कि वह अपने सुझाव सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पक्ष के समक्ष प्रस्तुत कर सके। आदेश में कहा गया कि याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाती है तथा याचिकाकर्ता आवश्यक सुझाव संबंधित प्रशासनिक प्राधिकरण को दे सकता है।

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