नागपुर का फ़ुटाला झील वेटलैंड नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण की अनुमति दी, NGO की याचिका ख़ारिज

Amir Ahmad

7 Oct 2025 12:38 PM IST

  • नागपुर का फ़ुटाला झील वेटलैंड नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण की अनुमति दी, NGO की याचिका ख़ारिज

    सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया, जिसमें नागपुर की फ़ुटाला झील को वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत 'वेटलैंड' के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार कर दिया गया था। इस फैसले के साथ ही राज्य के अधिकारियों को झील के आसपास फ्लोटिंग रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल, म्यूजिकल फाउंटेन और व्यूइंग गैलरी जैसे अस्थायी निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने नागपुर स्थित NGO स्वच्छ एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका खारिज की। NGO ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि अस्थायी संरचनाएं उठाना पर्यावरण सुरक्षा उपायों का उल्लंघन करता है और पारिस्थितिक क्षति का जोखिम पैदा करता है।

    याचिकाकर्ता ने निर्माण कार्यों के ख़िलाफ़ लोक न्यास सिद्धांत और एहतियाती सिद्धांत का हवाला दिया और झील को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने का आग्रह किया था।

    राज्य और अन्य प्रतिवादियों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि फ़ुटाला झील एक मानव निर्मित जल निकाय है, न कि 2017 के नियमों के नियम 2(1)(g) के तहत एक वेटलैंड। उन्होंने तर्क दिया कि सभी आवश्यक अनुमतियां और स्वीकृतियां (2019 और 2022 के अनुमोदन, हेरिटेज कमेटी की मंज़ूरी शहरी विकास विभाग की मंज़ूरी) विधिवत प्राप्त कर ली गईं।

    हाईकोर्ट ने फ़ुटाला झील को वैधानिक वेटलैंड नहीं मानते हुए लेकिन पर्यावरणीय सिद्धांतों को लागू करते हुए कोई स्थायी संरचना नहीं बनाने का निर्देश दिया और पारिस्थितिक नुकसान के खिलाफ कड़े सुरक्षा उपायों के साथ स्वीकृत परियोजनाओं को आगे बढ़ने की अनुमति दी।

    हाईकोर्ट के इसी निर्णय को चुनौती देते हुए NGO ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2024 में फ़ुटाला झील के अंदर और आसपास अस्थायी संरचनाओं के निर्माण पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और राज्य सरकार से संबंधित संरचनाओं की अस्थायित्व' की स्थिति पर जवाब मांगा।

    इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए इस मामले में निर्माण कार्यों को जारी रखने की अनुमति दी।

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