'घर में आग लगने पर कुआं न खोदें': सुप्रीम कोर्ट ने बिहार जहरीली त्रासदी पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई

Brij Nandan

16 Dec 2022 4:00 AM GMT

  • Supreme Court

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब सरकार को राज्य में अवैध शराब के बड़े पैमाने पर निर्माण और बिक्री से निपटने के लिए तुरंत सख्त कदम उठाने की चेतावनी देते हुए कहा,

    "जब घर में आग लग जाए तो कुआं न खोदें।"

    राज्य सरकार ने जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की बेंच को बताया कि वे पहले ही कोर्ट के आदेश के अनुसार सही दिशा में कदम उठा चुके हैं।

    पीठ को सूचित किया गया,

    "हमने कोर्ट के सभी निर्देशों को लागू किया है, जिसमें अवैध भट्टी पाए जाने पर स्थानीय पुलिस को जवाबदेह ठहराने वाला एक सर्कुलर जारी करना भी शामिल है। हमने जागरूकता अभियान चलाया है, मुखबिरों को नियुक्त किया है, जिन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।"

    जस्टिस शाह ने सारण जिले में बिहार जहरीली शराब त्रासदी का जिक्र करते हुए पूछा, जिसमें 39 लोगों की जान चली गई है, जबकि मरने वालों की संख्या अभी भी बढ़ रही है, "यह वही है जिससे हम बचना चाहते हैं!"

    याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत किया गया कि प्राथमिक चिंता यह है कि केवल निम्न स्तर के व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा रहा है।

    वकील ने समझाया कि वास्तव में शराब का निर्माण और आपूर्ति करने वाले लोग पुलिस जांच से बच रहे हैं। राज्य सरकार को यह दिखाने के लिए कई अवसर दिए गए हैं कि असली दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

    उदाहरण के लिए, अपने जवाबी हलफनामे में, राज्य सरकार ने 600 लीटर शराब प्राप्त करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने की बात स्वीकार की है। यह पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया गया कि यह शराब कहां से मंगवाई गई या कहां बनाई गई।"

    उन्होंने आगे पूछा,

    "जिन संयंत्रों में यह अवैध शराब बनाई जाती थी, उसके लिए किसने भुगतान किया? अवैध भट्टियों में भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। पूरी तरह से सन्नाटा है।"

    जस्टिस शाह ने वादा किया,

    "हम इसकी निगरानी करेंगे।"

    इस महीने की शुरुआत में जस्टिस शाह की अगुवाई वाली पीठ ने अवैध शराब के बड़े पैमाने पर निर्माण और बिक्री के संबंध में अपनी निष्क्रियता पर पंजाब सरकार को फटकार लगाई थी और इस समस्या से निपटने के लिए उठाए जा सकने वाले ठोस कदमों को रेखांकित करते हुए एक विस्तृत जवाबी हलफनामा मांगा था।

    पीठ ने एक सर्कुलर जारी करने की भी सिफारिश की थी जिसमें कहा गया था कि अवैध भट्टियां पाए जाने पर स्थानीय पुलिस को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

    पिछले महीने शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की खिंचाई की थी, जिसने टिप्पणी की थी कि लाइसेंस रद्द करना और कारखानों के कर्मचारियों से जुर्माना या बकाया राशि की वसूली पर्याप्त नहीं होगी।

    वकील प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि अवैध शराब उद्योग के असली सरगनाओं को पकड़ने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

    केस टाइटल

    तरसेम जोधन और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य। [एसएलपी (सी) संख्या 3764/2021]


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