सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उनके चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका की स्वीकार्यता पर आपत्ति उठाने की अनुमति दी
Amir Ahmad
22 July 2025 3:28 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, जो उनके भतीजे विजय बघेल द्वारा दायर चुनाव याचिका के खिलाफ थी।
इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान मौन अवधि (Silence Period) के नियमों का उल्लंघन किया गया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने भूपेश बघेल की याचिका को वापस लिया गया मानते हुए खारिज कर दिया लेकिन उन्हें यह स्वतंत्रता दी कि वह हाई कोर्ट-सह-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष इस याचिका की स्वीकार्यता को प्रारंभिक मुद्दा के रूप में उठाएं।
पीठ ने कहा,
यदि ऐसी कोई याचिका दायर की जाती है तो हाईकोर्ट से अनुरोध है कि वह प्रतिवादी पक्ष को सुनने का अवसर देने के बाद और मेरिट पर जाने से पहले इस पर निर्णय ले। चुनौती दी गई आदेश में की गई टिप्पणियों का उस याचिका पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भूपेश बघेल की याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत उनकी पहली याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देती थी, जिसमें उन्होंने विजय बघेल की चुनाव याचिका को खारिज करने की मांग की थी।
भूपेश बघेल की ओर से सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और एडवोकेट सुमीर सोढ़ी पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि मौन अवधि का उल्लंघन भ्रष्ट आचरण (Corrupt Practice) नहीं है, इसलिए विजय बघेल की चुनाव याचिका स्वीकार योग्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुझाव दिया कि यह मुद्दा हाई कोर्ट-सह-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष उठाया जाए।
मामला
भूपेश बघेल (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) और विजय बघेल (भारतीय जनता पार्टी) ने 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मतगणना के बाद भूपेश बघेल को विजय घोषित किया गया।
चुनाव परिणाम के बाद विजय बघेल ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि भूपेश बघेल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत निर्धारित 48 घंटे की मौन अवधि का उल्लंघन किया।
आरोप था कि इस अवधि के दौरान भूपेश बघेल ने एक रैली/रोड शो का आयोजन किया, जिसमें उनके पक्ष में नारे लगाए गए। विजय बघेल के चुनाव एजेंट द्वारा इस कार्यक्रम का मोबाइल से वीडियो और फोटो बनाया गया।
भूपेश बघेल ने इस याचिका को चुनौती देते हुए कहा कि याचिका अस्पष्ट है। इसमें कोई परीक्षण योग्य कारण (Triable Cause of Action) नहीं है। जब हाईकोर्ट ने उनकी Order 7 Rule 11 वाली याचिका खारिज कर दी तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

