अयोध्या विवाद : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे 

LiveLaw News Network

27 Nov 2019 9:15 AM GMT

  • अयोध्या विवाद : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे 

    अयोध्या राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वो दिसंबर के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में 9 नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

    AIMPLB ने एक बयान जारी कर कहा है,

    " अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए, हम दिसंबर के पहले सप्ताह के दौरान बाबरी मस्जिद मामले में एक पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं। मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन एक ही पृष्ठ पर हैं। "

    दरअसल मंगलवार को ही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने फ़ैसला किया है कि वो बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला मानेगा और इसके ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा।

    हालांकि बोर्ड ने अभी इस बात पर फ़ैसला नहीं किया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत मस्जिद के लिए पांच एकड़ ज़मीन ली जाए या नहीं. इस पर फ़ैसले के लिए बाद में बैठक बुलाई जाएगी।

    अयोध्या मामले पर लखनऊ में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में ये फ़ैसला लिया गया।बोर्ड के सात सदस्यों में से छह सदस्यों ने पुनर्विचार याचिका न दायर करने पर सहमति दी।

    गौरतलब है कि 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने 9 नवंबर को फैसला दिया था। राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

    निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया और आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।

    कोर्ट ने साथ में यह भी आदेश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व देने को कहा है।

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