अयोध्या विवाद : सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने मध्यस्थता के लिए पत्र लिखा, पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगे निर्देश

LiveLaw News Network

16 Sep 2019 1:05 PM GMT

  • अयोध्या विवाद : सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने मध्यस्थता के लिए पत्र लिखा, पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगे निर्देश

    अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में उन पत्रों का ज्ञापन भेजा है जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने फिर से मध्यस्थता को शुरू करने का अनुरोध किया है। पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।

    जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों ने पैनल को लिखे पत्र में कहा है कि अदालत में सुनवाई जारी रहे और मध्यस्थता के लिए एक बार फिर से कोशिश की जानी चाहिए। वहीं अन्य पक्षकारों ने इसका विरोध किया है।

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दो अगस्त को पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद मध्यस्थता को बंद कर दिया और 6 अगस्त से इस मामले में रोजाना सुनवाई का फैसला किया था। अभी तक 24 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है।

    शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि पैनल की रिपोर्ट हमने देखी है और मध्यस्थता सफल नहीं हो पाई। इसलिए 6 अगस्त से तब तक रोजाना सुनवाई होगी जब तक बहस पूरी ना हो जाए।

    इससे पहले 18 जुलाई को पीठ ने पैनल से 31 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए थे। पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस कलीफुल्ला की अगुवाई वाले मध्यस्थता पैनल को एक सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने मूल याचिकाकर्ता नंबर 1 गोपाल सिंह विशारद की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पीठ 18 जुलाई को स्टेटस रिपोर्ट पर विचार करेगी और अगर पीठ को लगा कि मध्यस्थता खत्म हो गई है तो फिर इस मामले में रोजाना सुनवाई शुरू होगी।

    गौरतलब है कि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मध्यस्थता की प्रक्रिया पूरी करने के लिए मध्यस्थता पैनल को दिए गए समय को 15 अगस्त तक बढ़ा दिया था।

    पहले अदालत ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्यस्थता के लिए इस मामले को भेजा था।

    मध्यस्थता कार्रवाही यूपी के फैजाबाद में आयोजित करने के लिए निर्देशित की गई, जहां विवादित स्थल स्थित है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि मध्यस्थता प्रक्रिया को इन कैमरा आयोजित किया जाना चाहिए और मीडिया को इसके घटनाक्रम पर रिपोर्टिंग करने से रोक दिया था।

    इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लल्ला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश को चुनौती दी गई है।

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