"आप प्रदूषण बढ़ाना क्यों चाहते हैं ?" : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर कहा

Sharafat

11 Oct 2022 1:57 AM GMT

  • आप प्रदूषण बढ़ाना क्यों चाहते हैं ? : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली भाजपा सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर विचार करते हुए दिल्ली में प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील शशांक शेखर झा से पूछा

    ,"आप एनसीआर के स्थायी निवासी हैं, है ना? आप प्रदूषण क्यों बढ़ाना चाहते हैं?"

    वकील ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध कोई समाधान नहीं है और कम से कम ग्रीन पटाखों की अनुमति दी जानी चाहिए।

    पीठ ने पूछा,

    "क्या आपने दिवाली के बाद की स्थिति देखी है?"

    अंतत: पीठ ने मामले को इसी तरह के अन्य लंबित मामलों के साथ उठाने के लिए सहमति व्यक्त की और इसे उनके साथ टैग किया।

    सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पिछले साल उसके द्वारा पारित आदेश बहुत स्पष्ट है और इसमें स्पष्टीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने पिछले साल दिवाली 2021 से पहले पटाखों में प्रतिबंधित रसायनों का उपयोग नहीं करने को सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश पारित किए थे।

    पीठ ने यह भी स्पष्ट किया था कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और केवल बेरियम लवण वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गय। ग्रीन पटाखों की अनुमति है।

    वर्तमान याचिका में यह तर्क दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करने के बावजूद, विभिन्न राज्यों ने सभी प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया था और बाद में विक्रेता, क्रेता और उपयोगकर्ता के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए थे।

    इससे बड़े पैमाने पर लोगों के लिए यह समझने में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई कि आतिशबाजी की अनुमति है या नहीं।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली एनसीटी सरकार ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है और इसे लागू करने के निर्देश जारी किए हैं। यह तर्क दिया गया कि इस तरह के निर्देशों के परिणामस्वरूप त्योहारी सीजन के दौरान बेकसूर लोगों का उत्पीड़न होगा।

    याचिकाकर्ता ने कहा,

    "दीपावली और अन्य जैसे त्योहारों के मौसम में गिरफ्तारी और एफआईआर न केवल बड़े पैमाने पर समाज में एक बहुत बुरा संदेश लेकर आई बल्कि इससे अनावश्यक रूप से लोगों में भय, दहशत और गुस्सा पैदा हुआ।"

    याचिका में इस मामले में निम्नलिखित मुद्दे उठाए गए :

    ए. क्या पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध है?

    बी. क्या राज्य और हाईकोर्ट ऐसे समय में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा सकते हैं जब इस माननीय न्यायालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है?

    सी. क्या पटाखों के उपयोग के लिए आम लोगों के खिलाफ एफआईआर जैसी दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है?

    डी. क्या पटाखों की बिक्री के लिए आम लोगों/छोटे विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जैसी दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है?

    ई. क्या राज्य की जिम्मेदारी नहीं है कि वह नागरिकों को बिना किसी डर के शांतिपूर्वक त्योहार मनाने की अनुमति दे?

    एफ. क्या राज्य जनता के त्योहार के दौरान कर्फ्यू और धारा 144 सीआरपीसी जैसे अनुचित प्रतिबंध लगा सकता है?

    जी. क्या अन्य उपायों के माध्यम से प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी राज्य की है?

    एच. क्या सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षक होने के नाते भारत के भविष्य की रक्षा करने और इस मामले को देखने के लिए जिम्मेदार है?"

    इस प्रकार याचिकाकर्ता ने अदालत से प्रत्येक राज्य को आगामी त्योहारी सीजन के दौरान अनुमेय पटाखों के उपयोग या बिक्री के मामले में आम जनता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने और प्रत्येक राज्य को आवश्यक उपाय करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया।

    केस टाइटल: मनोज तिवारी बनाम भारत संघ और अन्य

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