सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट सीजे को कोर्ट के आदेश अपलोड करने में देरी पर ध्यान देने को कहा
Sharafat
2 Sept 2023 5:06 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हाईकोर्ट के आदेश को अपलोड करने में कुछ अनियमितताओं पर ध्यान देने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मुद्दा 'गंभीर चिंता' पैदा करता है और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।
जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ जमानत के एक आवेदन पर विचार कर रही थी। बेंच को इस दौरान हाईकोर्ट की कार्यवाही में अनियमितता दिखाई दी। हाईकोर्ट के दिनांक 20.04.2023 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस आदेश की कॉपी पीड़ित पक्ष को उपलब्ध नहीं करवाई गई। हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी इसकी साइट पर अपलोड नहीं की गई थी, जबकि मामले का निपटारा 20.04.2023 को दिखाया गया था।
शीर्ष अदालत ने 25.08.2023 को मामले के स्टेटस और विवादित आदेश के संबंध में पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से स्पष्टीकरण मांगा। रजिस्ट्रार ने 30.08.2023 को लिखे एक पत्र में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मामला 18.04.2023 को जस्टिस संदीप कुमार को सौंपा गया था और 20.04.2023 को इसका निपटारा कर दिया गया। हालांकि आदेश 28.08.2023 को ही सुना दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने दिनांक 20.04.2023 के आदेश का भी अवलोकन किया जिसमें कहा गया कि फ़ाइल उपलब्ध नहीं होने के कारण आदेश समय पर टाइप नहीं किया जा सका।
हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया,
“याचिकाकर्ता के वकील को आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर, जैसा कि कार्यालय द्वारा बताया गया है, यदि कोई दोष हो तो उन्हें दूर करने की अनुमति है। फ़ाइल उपलब्ध न होने के कारण समय पर आदेश टाइप नहीं हो सका।”
शीर्ष अदालत ने पाया कि उपरोक्त तथ्यों ने 'गंभीर चिंताएं' पैदा की हैं और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस मामले को देखने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“उपरोक्त तथ्य गंभीर चिंताओं के मामले का खुलासा करते हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, इसलिए हम माननीय पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे संबंधित फाइलें मंगवाएं, इस मुद्दे पर गौर करें और इस संबंध में जो भी आवश्यक कदम हों, वह कदम उठाएं।''
इस बीच जमानत याचिका में याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत लेने का समय दिया गया।