सुप्रीम कोर्ट ने शादी के वादे पर रेप का आरोप लगाने वाली महिला 'मांगलिक' थी या नहीं, इसकी जांच करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाई
Sharafat
3 Jun 2023 4:28 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को आयोजित एक विशेष सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था कि कथित बलात्कार पीड़िता उसकी कुंडली की जांच के अनुसार मंगली/मांगलिक है या नहीं।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाश पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया।
हाईकोर्ट के जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने शादी का झूठा वादा करके कथित बलात्कार के एक मामले में आरोपी द्वारा दायर जमानत अर्जी पर यह आदेश पारित किया। आरोपी ने बचाव किया था कि महिला के साथ शादी नहीं की जा सकती क्योंकि वह 'मांगलिक' है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या उन्होंने आदेश देखा है।
एसजी ने कहा, "मैंने आदेश देखा है और यह बहुत परेशान करने वाला है। इस पर रोक लगाई जा सकती है।"
शिकायतकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि आदेश पक्षों की सहमति से पारित किया गया था और न्यायालय के पास विशेषज्ञ साक्ष्य मांगने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाने वाला विषय है।
जस्टिस धूलिया ने कहा,
"लेकिन यह पूरी तरह से संदर्भ से बाहर है। निजता का अधिकार परेशान है। "
जज ने कहा, "हम तथ्यों को जोड़ना नहीं चाहते हैं कि ज्योतिष का इससे क्या लेना-देना है। हम उस पर आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। हम केवल इससे जुड़े विषय को लेकर चिंतित हैं।"
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "ज्योतिष एक विज्ञान है। हम उस पर नहीं हैं। हम कह रहे हैं कि एक न्यायिक मंच द्वारा एक आवेदन पर विचार करते हुए क्या यह एक प्रश्न हो सकता है।"
जस्टिस मित्तल ने कहा, "हम समझ नहीं पाते हैं कि ज्योतिष के पहलू पर विचार क्यों किया गया।"
हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट जमानत अर्जी पर गुण-दोष के आधार पर विचार कर सकता है।
पृष्ठभूमि
हाईकोर्ट के समक्ष पीड़िता ने तर्क दिया कि आरोपी ने उससे शादी करने का झूठा वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए और उसका उससे शादी करने का कभी इरादा नहीं था।
इसके विपरीत अभियुक्त ने प्रस्तुत किया कि अभियुक्त और पीड़िता के बीच विवाह संपन्न नहीं हो सका क्योंकि पीड़िता एक 'मांगलिक' है। इस आरोप का खंडन करते हुए पीड़िता के वकील ने कहा कि वह 'मंगल दोष' से पीड़ित नहीं है।
पक्षकारों के परस्पर विरोधी दावों को देखते हुए न्यायालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष (ज्योतिष विभाग) को निर्देश दिया कि वह लड़की मंगली है या नहीं, इस मामले में निर्णय करें। कोर्ट ने पक्षकारों को दस दिनों के भीतर अपनी कुंडली एचओडी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।