अभियुक्त को अभियोजन के कब्जे में सामग्री प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही ड्राफ्ट आपराधिक नियमों को नहीं अपनाया गया हो: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

9 Nov 2022 5:08 AM GMT

  • अभियुक्त को अभियोजन के कब्जे में सामग्री प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही ड्राफ्ट आपराधिक नियमों को नहीं अपनाया गया हो: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (2:1) ने माना कि अभियुक्त को अभियोजन के कब्जे में बयानों, दस्तावेजों, सामग्री आदि की सूची प्राप्त करने का अधिकार है, भले ही आपराधिक अभ्यास के ड्राफ्ट नियमों को अभी तक अपनाया नहीं गया हो।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) उदय उमेश ललित और जस्टिस एस. रवींद्र भट जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी से असहमत थे, जिन्होंने आपराधिक अपील खारिज करते हुए कहा कि यह अधिकार ड्राफ्ट नियमों के लागू होने के बाद ही उपलब्ध है।

    इस मामले में निचली अदालत ने हत्या के मामले में आरोपियों को दोषी करार दिया। उनमें से कुछ को मौत की सजा सुनाई गई। मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष उनकी अपील लंबित है। इस अपील में उन्होंने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें पक्षकारों की ओर से पेश होने वाले वकीलों को 17.10.2022 को मामले की सुनवाई के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया गया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उन्होंने प्रस्तुत किया कि उन्होंने इंस्पेक्टर (कानून और व्यवस्था) ई -4 अबीरामपुरम पुलिस 7 स्टेशन, चेन्नई को संबोधित पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने पत्र में उल्लिखित कुछ दस्तावेज पेश करने का अनुरोध किया गया, जो मुकदमें के निष्पक्ष निर्णय के लिए आवश्यक है। यह आगे प्रस्तुत किया गया कि जब तक उक्त दस्तावेजों की प्रतियां उन्हें प्रस्तुत नहीं की जातीं, तब तक उनके लिए अपील या संदर्भ मामले की सुनवाई के लिए आगे बढ़ना संभव नहीं है। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य में की गई टिप्पणियों पर भरोसा किया | 2022 लाइव लॉ (एससी) 510 और आपराधिक व्यवहार के ड्राफ्ट नियम के नियम 4।

    उक्त नियम 4 के अनुसार, प्रत्येक आरोपी को सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज गवाहों के बयान और जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों, भौतिक वस्तुओं और प्रदर्शनों की सूची और जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा भरोसा किए जाने के अनुसार सीआरपीसी की धारा 207 और 208 के तहत आपूर्ति की जाएगी। यह स्पष्ट करता है कि: बयानों, दस्तावेजों, भौतिक वस्तुओं और प्रदर्शनों की सूची में बयानों, दस्तावेजों, भौतिक वस्तुओं और प्रदर्शनों को निर्दिष्ट किया जाएगा जिन पर जांच अधिकारी द्वारा भरोसा नहीं किया जाता।

    जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने इस तर्क को खारिज किया और कहा कि अभियोजन पक्ष से दस्तावेजों की आपूर्ति से संबंधित ड्राफ्ट नियम नंबर चार का पालन करने की उम्मीद है। केवल जब ड्राफ्ट नियमों के उक्त सेट को हाईकोर्ट और राज्य सरकारों द्वारा अपनाया जाता है, उन्हें वैधानिक बल दिया जाता है। उक्त ड्राफ्ट नियम नंबर चार को जब भी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद लागू किया गया, आरोपी द्वारा केवल जांच ट्रायल के दौरान सेवा में लगाया जा सकता है, न कि हाईकोर्ट के समक्ष अपीलीय स्तर पर कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लगाया जा सकता है।

    सीजेआई ललित और जस्टिस भट ने इस दृष्टिकोण से असहमत होकर कहा:

    "कुछ हाईकोर्ट या राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें इस अदालत के आदेश का पालन करने में विफल रही हैं और ड्राफ्ट नियमों को अपनाने या संबंधित पुलिस/प्रैक्टिस नियमावली में संशोधन करने में देरी कर रहे हैं। यह आरोपी के अधिकार (इस सूची को प्राप्त करने के लिए) पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाल सकता है। बयानों, दस्तावेजों, सामग्री, आदि के अभियोजन पक्ष के पास), जिसे मनोज मामले के निर्णय में इस अदालत द्वारा स्पष्ट रूप से मान्यता दी गई है। अधिकार का दस्तावेजों, सामग्री, आदि की उक्त सूची प्राप्त करने के लिए अभियुक्त केवल ड्राफ्ट नियमों को अपनाने के बाद ही लागू होगा। यह ऐसी विषम स्थिति पैदा करेगा, जहां राज्य में अभियुक्त का अधिकार, दूसरे में आरोपी को दिए गए अधिकार से प्रतिकूल रूप से भिन्न होता है।"

    पीठ ने अपील खारिज करने से सहमति व्यक्त की और निम्नानुसार कहा,

    "हमारी राय है कि जिन परिस्थितियों में अनुरोध किया गया और अपील के बाद पत्र के माध्यम से बार-बार अवसरों के बावजूद सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया, यह सही नहीं है। अपीलकर्ता ऊपर निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार, सही समय पर उचित आवेदन दाखिल कर सकता है। इसलिए हम सहमत हैं कि इस देर के चरण में की गई अपील सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए प्रतीत होती है। इन परिस्थितियों में न्यायालय हस्तक्षेप करने से इनकार करता है।"

    केस टाइटलः पी पोन्नुसामी बनाम तमिलनाडु राज्य | 2022 लाइव लॉ (एससी) 923 | 2022 का एसएलपी (सीआरएल) 9288 | 7 नवंबर 2022 | सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी

    हेडनोट्स

    क्रिमिनल ट्रायल - क्रिमिनल प्रैक्टिस के ड्राफ्ट रूल्स 2021; नियम 4 - कुछ हाईकोर्ट या राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें इस अदालत के आदेश का पालन करने में विफल रही हैं और ड्राफ्ट नियमों को अपनाने या संबंधित पुलिस/प्रैक्टिस नियमावली में संशोधन करने में देरी कर रहे हैं, मगर यह आरोपी के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाल सकता। मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य में फैसले के अनुसार, अभियोजन पक्ष के पास बयानों, दस्तावेजों, सामग्री आदि की सूची होनी चाहिए। इसके संबंध में लाइव लॉ (एससी) 510/2022 और दस्तावेजों, सामग्री आदि की उक्त सूची प्राप्त करने का आरोपी का अधिकार केवल ड्राफ्ट नियमों को अपनाने के बाद ही लागू होगा। यह एक विषम स्थिति पैदा करेगा, जहां अधिकार राज्य में आरोपी, दूसरे में दूसरे आरोपी को वहन किए जाने वाले से पूर्वाग्रही रूप से भिन्न होता है। [सीजेआई यूयू ललित का निर्णय] (पैरा 16)

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