'यूपी राज्य कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर आगे नहीं बढ़ सकता'': सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा

LiveLaw News Network

16 July 2021 12:20 PM IST

  • यूपी राज्य कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर आगे नहीं बढ़ सकता: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य COVID-19 महामारी के बीच राज्य में कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर आगे नहीं बढ़ सकता है।

    न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य से कहा कि,

    "वह कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सोमवार को अदालत में वापस आएं।"

    न्यायमूर्ति नरीमन ने उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन से मौखिक रूप से कहा कि या तो हम सीधे आदेश पारित करेंगे या आपको अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का एक और मौका देंगे।

    न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ COVID-19 महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर लिए गए स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

    भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि भारत सरकार का स्टैंड है कि यात्रा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    एसजी ने केंद्र सरकार के रुख के बारे में पीठ को सूचित करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को स्थानीय शिव मंदिरों में पूजा करने के लिए हरिद्वार से गंगाजल लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

    न्यायमूर्ति नरीमन ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यूपी राज्य केंद्र सरकार के रुख के खिलाफ नहीं जा सकता है।

    न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि यूपी राज्य इस पर आगे नहीं बढ़ सकता। 100%।

    कोर्ट ने बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस में बुधवार सुबह प्रकाशित एक रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि COVID-19 की संभावित तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है, लेकिन वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश ने कुछ शर्तों के साथ कांवड़ यात्रा आयोजित करने का फैसला किया है। इससे उत्तरी बेल्ट के राज्यों में तीर्थयात्रियों की भारी आवाजाही देखी जाएगी।

    पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने मंगलवार को महामारी के जोखिम का हवाला देते हुए कांवड़ यात्रा आयोजित नहीं करने का फैसला लिया। हालांकि, उत्तर प्रदेश ने कुछ प्रतिबंधों के साथ कांवड़ यात्रा की अनुमति देने का फैसला लिया है।

    कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से 6 अगस्त तक आयोजित करने का प्रस्ताव है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार साल 2019 में यात्रा का आयोजन किया गया था। लगभग 3.5 करोड़ भक्त (कांवरियों) हरिद्वार गए थे, जबकि 2-3 करोड़ से अधिक लोगों ने पश्चिमी यूपी के तीर्थ स्थलों पर गए थे।

    न्यायमूर्ति नरीमन ने एसजी तुषार मेहता से कहा था कि,

    "हमने आज इंडियन एक्सप्रेस में कुछ परेशान करने वाला पढ़ा कि यूपी राज्य ने कांवड़ यात्रा आयोजित करने का फैसला किया है, जबकि उत्तराखंड राज्य ने अपने अनुभव के आधार पर फैसला किया कि कोई यात्रा आयोजित नहीं की जाएगी। हम जानना चाहते हैं कि संबंधित सरकारों का क्या स्टैंड है। भारत के नागरिक पूरी तरह से हैरान हैं, वे नहीं जानते कि क्या हो रहा है और जब प्रधानमंत्री से देश में COVID-19 की तीसरी लहर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम थोड़ा सा भी समझौता नहीं कर सकते। हम केंद्र, यूपी राज्य और उत्तराखंड राज्य को नोटिस जारी कर रहे हैं और क्योंकि कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से निकलने वाली है। हम चाहते हैं कि वे जल्द से जल्द जवाब दाखिल करें ताकि मामले की सुनवाई शुक्रवार को हो सके।"

    पीठ ने आदेश दिया था कि,

    "हम 25 जुलाई से होने वाली कांवर यात्रा के बारे में इंडियन एक्सप्रेस में आज की हेडलाइन को देखते हुए थोड़ा परेशान हैं। अखबार की रिपोर्ट का शीर्षक इस प्रकार है: (...)। इस शीर्षक के ठीक ऊपर प्रधानमंत्री के उस बयान को दिखाया गया जब वह कुछ मुख्यमंत्रियों से मिले थे और जब लोगों ने भारत में COVID9 की तीसरी लहर के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा कि 'इसे रोकने की जिम्मेदारी हमारी है और हम थोड़ा भी समझौता नहीं कर सकते।"

    पीठ ने आगे कहा था कि यह महत्वपूर्ण है कि गृह सचिव, भारत संघ इस समाचार रिपोर्ट का जवाब दें। इस तथ्य को देखते हुए कि यह यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी है, एक छोटा समय सारिणी तय करना आवश्यक है। शुक्रवार की सुबह प्रमुख सचिव, उत्तराखंड राज्य, गृह सचिव, भारत संघ और प्रमुख सचिव, यूपी राज्य द्वारा हलफनामा दायर किया जाएगा। अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और इस मुद्दे पर यूपी और उत्तराखंड राज्य और भारत संघ को नोटिस जारी किया है। प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए मामले को शुक्रवार को सूचीबद्ध किया गया था।

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