सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह अपनी मर्जी से जी सकती है, बरेली के नारी निकेतन को किशोरी को रिहा करने का आदेश, पढ़ें जजमेंट

LiveLaw News Network

6 Aug 2019 1:26 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह अपनी मर्जी से जी सकती है, बरेली के नारी निकेतन को किशोरी को रिहा करने का आदेश,  पढ़ें जजमेंट

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के बरेली में नारी निकेतन को निर्देश दिया है कि वह इच्छा के विरुद्ध हिरासत में ली गई लड़की को रिहा करे।

    दरअसल उसके पति होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसमें कहा गया था कि उसकी पत्नी, जो एक वयस्क है, को उसकी इच्छा के खिलाफ नारी निकेतन में हिरासत में लिया गया है। उसने यह साबित करने के लिए एक मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया कि वह बालिग है।

    हालांकि, पीठ ने कहा कि हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार जन्म की तारीख 4.4.2002 है और हाई स्कूल सर्टिफिकेट के मुताबिक उसकी उम्र लगभग 17 वर्ष है। अदालत ने आगे कहा कि किशोर की आयु का निर्धारण किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण), अधिनियम 2015 के प्रावधान के अनुसार किया जाना चाहिए। उपरोक्त अधिनियम की धारा 94 के तहत हाई स्कूल प्रमाणपत्र को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसी वजह से पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

    अपील में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा :"मेडिकल रिपोर्ट और रिकॉर्ड पर रखी गई अन्य सामग्री के संबंध में हम नारी निकेतन, बरेली (यूपी) के अधिकारियों को श्रीमती हिमानी को रिहा करने के लिए निर्देशित करना उचित समझते हैं। श्रीमती हिमानी अपनी इच्छा के अनुसार जीने के लिए स्वतंत्र हैं।



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