शाहीन बाग : धरने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया, कहा, आप सार्वजनिक क्षेत्र में प्रदर्शन नहीं कर सकते
LiveLaw News Network
10 Feb 2020 1:26 PM IST

दिल्ली के शाहीन बाद में सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ 15 दिसंबर से चल रहे धरना- प्रदर्शन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने हालांकि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अंतरिम निर्देश के लिए याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया।
अमित साहनी और नंदकिशोर गर्ग द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौल ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, "विरोध प्रदर्शन हो सकता है, लेकिन यह उस क्षेत्र में किया जाना चाहिए जो विरोध के लिए नामित है।"
"एक सार्वजनिक क्षेत्र में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। यदि हर कोई हर जगह विरोध करना शुरू कर देता है, तो क्या होगा? कई दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन आप लोगों को असुविधा होने नहीं दे सकते हैं, " जस्टिस कौल ने कहा।पीठ ने इसके बाद नोटिस जारी कर मामले को 17 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है।
हालांकि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने असुविधा का हवाला देते हुए अंतरिम निर्देश के लिए दबाव डाला, लेकिन पीठ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि विरोध प्रदर्शन 50 दिनों से चल रहा है। यह थोड़ी देर तक चल सकता है।
इससे पहले जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने 6 फरवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि वो समझते हैं कि समस्या है।
इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि धरने को 55 दिन बीत चुके हैं। सोमवार तक दिल्ली में चुनाव भी खत्म हो जाएगा। इस पर पीठ ने कहा था कि इसलिए तो कह रहे हैं कि चुनाव के बाद सुनवाई करेंगे।
गौरतलब है कि वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को कोई दिशा- निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया था। 14 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने सरकार और पुलिस को हालात को देखते हुए कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य याचिका दाखिल कर इस मामले में व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है ।
याचिकाकर्ता बीजेपी नेता नंदकिशोर गर्ग ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि शाहीन बाग का विरोध संविधान के पैरामीटर के भीतर है और इसे गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता।
हालांकि, पूरे विरोध ने उस समय अपनी वैधता को खो दिया, जब दूसरों को संविधान से मिले संरक्षण को धता बताते हुए सार्वजनिक स्थान पर उनका रास्ता रोका गया जिससे लोगों को जबरदस्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए एक दिशा-निर्देश भी मांगा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य कानून प्रवर्तन मशीनरी को प्रदर्शनकारियों की सनक और जिद के लिए बंधक बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अत्यंत व्यस्त सार्वजनिक स्थानों जैसे दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाले सड़क मार्ग पर इस तरह के विरोध को प्रतिबंधित करने के लिए दिशानिर्देशों की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि इसका हजारों लोगों द्वारा अपनी आजीविका के लिए और अस्पताल और स्कूल जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
दरअसल कालिंदी कुंज - शाहीन बाग मार्ग, ओखला अंडरपास के साथ, 15 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में स्थानीय लोगों द्वारा शुरु किए गए धरने के चलते बंद कर दिया गया था। यह रास्ता नोएडा, फरीदाबाद और हरियाणा जाने वाले मार्गों को जोड़ता है।