सीनियर डेसिग्नेशन : सुप्रीम कोर्ट के 10-20 साल की प्रैक्टिस के प्रत्येक साल के लिए एक अंक देने के आदेश के बाद आवेदन करने की अंतिम तारीख बढ़ाई
LiveLaw News Network
8 May 2022 1:56 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर, जिसमें हाईकोर्ट को सीनियर डेसिग्नेशन के लिए आवेदन करने वाले एडवोकेट को 10 साल से 20 साल के बीच प्रैक्टिस के प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक देने करने का निर्देश दिया गया है, उसमें सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन के लिए आवेदन जमा करने के लिए तारीख 14 मई तक बढ़ाई गई है।
इससे पहले, 10 से 20 साल की प्रैक्टिस के अनुभव वाले एडवोकेट को फ्लैट 10 अंक आवंटित किए गए थे।
सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन के लिए समिति ने अधिसूचित किया है कि आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 14 मई 2022 तक बढ़ा दी गई है।
यह स्पष्ट किया गया है कि एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड या एडवोकेट्स जिन्होंने पहले ही दिनांक 25.02.2022 के नोटिस के जवाब में आवेदन किया है, उन्हें फिर से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।
उम्मीदवार एडवोकेट भारत के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित अपने आवेदन निर्धारित प्रारूप में समिति के सचिवालय में 14 मई दोपहर 1.30 बजे तक प्रस्तुत कर सकते हैं। नई निर्धारित तिथि, अर्थात 14.05.2022 के बाद प्राप्त आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया था सीनियर एडवोकेट डेसिग्नेशन के लिए आवेदनों का आकलन करते समय हाईकोर्ट को 10 से 20 साल की प्रैक्टिस में रहने वाले वकील के लिए फ्लैट 10 अंक आवंटित करने के बजाय 10 से 20 साल की प्रैक्टिस वाले वकीलों को प्रत्येक साल की प्रैक्टिस के लिए एक अंक आवंटित करना चाहिए। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यह स्पष्टीकरण जारी करते हुए सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह द्वारा दायर एक आवेदन में प्रार्थना की अनुमति दी।
पीठ ने कहा था,
"हम स्थिति को स्पष्ट करते हैं और मानते हैं कि एक विद्वान वकील को आवंटित किए जाने वाले 10 अंकों के बजाय, जो 10-20 साल की प्रैक्टिस वाले वकील को प्रत्येक वर्ष की प्रैक्टिस के लिए एक अंक आवंटित किया जाना चाहिए।"
सीनियर एडवोकेट जयसिंह ने प्रस्तुत किया कि कई हाईकोर्ट 10-20 वर्षों की प्रैक्टिस के लिए 10 अंक देने की प्रथा का पालन करते हैं। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उन्हें इस मामले में वकीलों से प्रतिक्रिया मिली है जिन्होंने कहा है कि 10-19 सालों की प्रैक्टिस का अनुभव रखने वाले सभी वकीलों को समान अंक मिल रहे हैं।
जयसिंह ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर सीनियर डेसिग्नेशन देने के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी।