असम के हिरासत केंद्रों में 2 साल से अधिक समय से बंद कैदियों की रिहाई के लिए आदेश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट 

LiveLaw News Network

13 April 2020 10:12 AM GMT

  • असम के हिरासत केंद्रों में 2 साल से  अधिक समय से बंद कैदियों की रिहाई के लिए आदेश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट 

    SC To Pass Orders For Release Of Persons Who Have Spent More Than Two Years In Foreigners Detention Centres

    COVID-19 महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि असम के हिरासत केंद्रों में 2 वर्ष से अधिक समय से रखे गए कैदियों को एक निश्चित जमानत के साथ व्यक्तिगत मुचलके पर रिहा किया जा सकता है।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एम एम शांतनागौदर की पीठ ने एक लाख रुपये की कठोर जमानत को भी कम कर दिया। COVID-19 महामारी के मद्देनज़र देश भर में बाल संरक्षण घरों की स्थितियों से संबंधित एक मामले में ये कदम उठाया।

    मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने उल्लेख किया, "हम इस संबंध में आदेश पारित करेंगे। हम आज आदेश पारित करेंगे।"

    वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पीठ को अवगत कराया कि कैदियों की व्यवस्थित रिहाई के निर्देशों के आलोक में विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।

    एमिक्स क्यूरी और वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि पीठ को कैदियों की स्थायी रिहाई की घटना को ध्यान में रखना चाहिए।

    वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि बेंच, कैदियों की रिहाई के अलावा राज्यों को हिरासत केंद्रों के बंदियों को रिहा करने का भी निर्देश दे।

    इसके आलोक में, न्यायालय ने जेलों की क्षमता और इस संकट में कैदियों को रिहा करने के लिए आवश्यक विभिन्न अन्य तौर-तरीकों की जांच की।

    राष्ट्रीय मंच के लिए उपस्थित वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि असम के हिरासत केंद्रों में रखे गए बंदियों को रिहा किया जाना चाहिए। हालांकि, पीठ ने इस बात की व्यवहार्यता की जांच की और पूछा कि इन केंद्रों में बॉद लोग विदेशी हैं और उनके फरार होने की उच्च संभावना है।

    वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने हालांकि कहा कि ये बंदी वास्तव में विदेशी नहीं है और लोग जो पांच दशक से अधिक समय से भारत में रह रहे हैं, उनके पास पीढ़ियों, कृषि भूमि आदि हैं।

    2 साल से अधिक समय से बंदी राजू बाला दास द्वारा दायर याचिका में हिरासत केंद्रों में भीड़भाड़ की स्थितियों के बीच COVID-19 संक्रमण के जोखिम का हवाला दिया गया है।

    असम में छह हिरासत केंद्र हैं, जिसमें 802 व्यक्ति हिरासत में हैं, जैसा कि पिछले महीने लोकसभा में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था।

    10 मई, 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी बंदियों को रिहा करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने 3 साल से अधिक समय हिरासत में काटा है। उसे बांड के निष्पादन के अधीन किया था।

    COVID महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़भाड़ से बचने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च, 2020 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे कैदियों की श्रेणी निर्धारित करने के लिए उच्च स्तरीय समितियों का गठन करें, जिन्हें चार से छह सप्ताह के लिए पैरोल पर रिहा किया जा सके।

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