COVID 19 के कारण केंद्र को कर वसूलने से रोकने वाले केरल और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
LiveLaw News Network
20 March 2020 2:51 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद और केरल के हाईकोर्ट द्वारा पारित सामान्य आदेशों पर रोक लगा दी है।
इन आदेशों में केंद्र सरकार को राजस्व बकाया जैसे कि माल और सेवा कर और आयकर की वसूली करने से छह अप्रैल तक रोक दिया गया था। दोनों हाईकोर्ट ने COVID 19 महामारी के मद्देनजर मुकदमों की संख्या में कटौती करने के लिए ये आदेश पारित किए थे।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. एम खानविलकर, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच के समक्ष केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए यह स्थगन आदेश दिया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ऐसे व्यापक आदेश पारित नहीं कर सकती। यह भी दलील दी गई कि वसूली पर प्रतिबंध सरकार को नुकसान में डाल देगा, विशेषकर 31 मार्च को वित्तीय वर्ष का समापन होना है,जो कि काफी नजदीक है।
मेहता ने कहा कि इन आदेशों से पूरे भारत में नतीजे देखने को मिलेंगे। मेहता ने दलील दी कि, ''यहां तक कि जो लोग स्वेच्छा से टैक्स का भुगतान करते हैं और रिटर्न फाइल करते हैं, वे भी ऐसा करना बंद कर देंगे।''
केंद्र ने यह भी कहा कि इससे करदाताओं को परेशानी नहीं होगी।
अदालत ने एसजी तुषार मेहता के उस बयान को दर्ज किया जिसमें कहा गया है कि ''सरकार कोरोना वायरस के मुद्दे के प्रति सचेत है और मौजूदा परिस्थितियों में कोई भी कठिनाई पैदा किए बिना इस मुद्दे को हल करने के लिए केंद्र सरकार सिस्टम बना रही है।''
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से यह एसएलपी दायर की गई है, जिसमें इस तरह के एक सर्वव्यापी निर्देश को पारित करने के लिए हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया गया है।
याचिका में यह भी कहा गया कि-''हाईकोर्ट द्वारा दिया गया आदेश लोगों को देय करों के भुगतान में देरी के लिए भुगतान न करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
चूंकि वसूली के कार्य को स्थगित करने के लिए जारी किए दिशा-निर्देशों के प्रकाश में उनको किसी भी विपरीत परिणाम का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह देश की वित्तीय प्रणाली के लिए विनाशकारी परिणामों को जन्म देगा, क्योंकि जो भुगतान करने में सक्षम हैं और कोरोना वायरस से प्रभावित नहीं हैं,वो भी भुगतान नहीं करेंगे।''
केंद्र ने आशंका व्यक्त की है कि हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए दिशा-निर्देश ''भारत सरकार के मासिक राजस्व संग्रहों को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे जो 2 लाख करोड़ के हैं।''
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने बुधवार को यह कहते हुए निर्देश पारित किया था कि-
''कोरोना वायरस (COVID 19) की महामारी वाली बीमारी के कारण वर्तमान में देश के समाज में गंभीर खतरे को देखते हुए, राज्य सरकार को यह निर्देश जारी करना आवश्यक हो गया है कि राज्य सरकार राज्य के प्रत्येक जिले के जिला मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी एजेंसियां और प्राधिकरण सहित विभिन्न प्राधिकरणों को सर्कुलर या निर्देश जारी करें कि किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय के खिलाफ कोई भी कठोर कदमन उठाएं या कोई ऐसी प्रक्रिया न अपनाएं ताकि उनको मजबूरन कानूनी उपायों के लिए कोर्ट आना पड़े।
वहीं सार्वजनिक सभा से बचने के लिए नीलामी जैसी कार्यवाही को भी अंजाम न दिया जाए या न किया जाए।''
गुरुवार को, केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अमित रावल ने भी इसी तरह का निर्देश पारित किया था।उन्होंने आदेश दिया था कि-
''... मैं बैंकों, वित्तीय संस्थानों, आयकर अधिकारियों, पूर्ववर्ती केवीएटी, जीएसटी जैसे संबंधित विभागों को सामान्य दिशा-निर्देश जारी करना उचित समझता हूं कि मोटर वाहनों के कर व भवन कर की वसूली के मामलों में वसूली की कार्रवाई या जबरदस्ती वसूली के उपायों को 6 अप्रैल 2020 तक स्थगित कर दिया जाए या रोक लगा दी जाए।''