सूफी संत पर टिप्पणी करने के आरोप में अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज FIRs पर जांच और कठोर कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

LiveLaw News Network

26 Jun 2020 12:41 PM IST

  • सूफी संत पर टिप्पणी करने के आरोप में अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज  FIRs पर जांच और कठोर कार्रवाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

    सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर अपनी टिप्पणी के बाद न्यूज 18 एंकर अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर पर जांच और इन एफआईआर पर कठोर कार्रवाई पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी।

    जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की अवकाश पीठ ने एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाली अमीश देवगन की रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 8 जुलाई तक वापसी योग्य है और उसके बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।

    देवगन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल ने अपने शो के दौरान "अनजाने में त्रुटि" की थी जिसके लिए उन्होंने बाद में सार्वजनिक माफी मांगी थी। पत्रकार के खिलाफ "जुबान फिसलने" के कारण एफआईआर दर्ज करना अन्यायपूर्ण है और उत्पीड़न के दायरे में है।

    लूथरा ने कहा,

    "अगर ऐसा होने लगे, जहां लोगों को जुबान फिसलने के कारण समस्या से सामना करना पड़े तो क्या होगा? लोग गलती करते हैं। उन्होंने भी माफी मांगी है।"

    उन्होंने कहा कि देवगन के खिलाफ राजस्थान, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और अगर एफआईआर के सिलसिले में उन्हें देश भर में अलग-अलग जगहों पर पेश होने के लिए कहा जाता है, तो यह उनके लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करेगा। लूथरा ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों को भी धमकाया और परेशान किया जा रहा है।

    महाराष्ट्र के दो शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील रिजवान मर्चेंट ने कहा कि देवगन ने अपने शो के दौरान एक बार से ज्यादा "लुटेरा चिश्ती" शब्द का इस्तेमाल किया।

    अमीश के खिलाफ शिकायतों और देश भर में एक के बाद एक एफआईआर दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ दायर सभी एफआईआर पर रोक लगाने और उन्हें खारिज करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।

    15 जून को अपने शो 'आर पार' पर पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में पीआईएल के बारे में एक बहस की मेजबानी करते हुए, अमीश ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के रूप में जाना जाता है, उन्हें "हमलावर" और "लुटेरा" कहकर बुलाया था। इसके बाद, एंकर के खिलाफ देश भर में कई पुलिस शिकायतों और एफआईआर दर्ज की गईं।

    अधिवक्ता विवेक जैन की ओर से याचिका दायर की गई और अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज उन एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC)की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना ) 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ाना), धारा 505 (सार्वजनिक दुराचरण के लिए बयान देना) और 34 (सामान्य अभिप्राय में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत अमीश देवगन के खिलाफ आरोप लगाया गया है।

    अमीश देवगन ने सूफी संत को "लुटेरा" के रूप में संदर्भित करने के लिए भी माफी मांगी थी और इसे "अनजाने में हुई गलती कहा था।

    अमीश देवगन ने ट्विटर पर कहा था कि

    "अपनी एक बहस में, मैंने अनजाने में 'खिलजी' को चिश्ती कह दिया। मैं ईमानदारी से इस गंभीर त्रुटि के लिए माफी मांगता हूं और यह सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों के लिए दुख की बात हो सकती है, जिन्हें मैं सम्मान देता हूं। मैंने भी पहले उनकी दरगाह पर आशीर्वाद लिया है। मुझे इस त्रुटि पर खेद है।'

    17 जून को, उन्होंने ऑन एयर पर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी भी मांगी।

    देवगन ने बुधवार दोपहर को माफीनामे में कहा,

    "मुझे हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती पर पूरी श्रद्धा है।" मैं खुद अजमेर शरीफ में जियारत के लिए जाता हूं और अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मुझे इसका अफसोस है।"

    पुलिस की शिकायतों और एफआईआर के अलावा, कई मुस्लिम संगठनों ने भी एंकर की टिप्पणी की निंदा की है। दारुल उलूम देवबन ने भी एक प्रेस बयान जारी कर एंकर के शब्दों के चयन की निंदा की और देवगन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

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