इलाहाबाद हाईकोर्ट के डीजे पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई, पढ़िए आदेश
LiveLaw News Network
23 Nov 2019 11:04 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर प्रभावी रोक लगा दी है, जिसमें डीजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था।
प्रतिबंध को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने संबंधित अधिकारियों से डीजे बजाने की अनुमति मांगने वाले आवेदनों पर फैसला करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि डीजे सेवाओं के लिए अनुमति दी जानी चाहिए, यदि आवेदन कानून के अनुसार है।
उन्होंने कहा, "... जैसा कि और जब भी कोई आवेदन वरीयता में आता है तो संबंधित अधिकारियों द्वारा आवेदनों पर विचार किया जाएगा और यदि वे अन्यथा कानून के अनुसार हैं, तो उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देश के बावजूद अनुमति दी जा सकती है।"
यह याचिका ऐसे व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पेशेवर डीजे प्लेयर होने का दावा किया था। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने अपने पड़ोस में लाउडस्पीकर के बेतरतीब उपयोग की शिकायत की थी और इसलिए हाईकोर्ट ने पूरे राज्य के लिए एक सामान्य निर्देश पारित करने में गलती की थी।
यह था मामला
21 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश में डीजे बजाए जाने पर पाबंदी लगा दी थी। न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने सभी जिलाधिकारियों व मजिस्ट्रेटों द्वारा डीजे बजाने की मंजूरी दिए जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी और यूपी सरकार से इस पर सख्ती से अमल करने को कहा था ।
पीठ ने यूपी सरकार से डीजे बजाने वालों पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाने व पांच साल तक की कैद की सज़ा का नियम बनाने का भी आदेश दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि डीजे बजने पर संबंधित थाना प्रभारियों की जवाबदेही होगी।
इस बारे में शिकायत करने वालों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी । ईमेल और व्हाट्सएप्प के साथ ही मोबाइल पर भेजे गए एसएमएस के ज़रिये भी शिकायत की जा सकेगी। अदालत ने ध्वनि प्रदूषण की शिकायत के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी करने को कहा । हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस आदेश का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाया जाएगा । पीठ ने माना कि कई एम्प्लीफायर व साउंड बॉक्स होने की वजह से डीजे बजने पर ध्वनि प्रदूषण के मानकों का पालन नहीं हो सकता।अदालत के फैसले के मुताबिक़ त्यौहारों पर लाउडस्पीकर भी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक़ ही बजेंगे और जिलों के डीएम व पुलिस अधीक्षक इस पर निगरानी रखेंगे ।कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि डीजे बजने से बच्चों - बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं