अन्य धर्मों में परिवर्तित दलितों का एससी स्टेटस - रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट स्वीकार नहीं कर रहे : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

Shahadat

7 Dec 2022 3:39 PM IST

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    सुप्रीम कोर्ट में अन्य धर्मों में परिवर्तित दलितों को अनुसूचित जाति समुदाय के लिए उपलब्ध आरक्षण का लाभ देने के मुद्दे पर अपना वर्तमान रुख प्रदान करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल ने बुधवार को बताया किया कि केंद्र सरकार ने रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट की रिपोर्ट पर निर्णय नहीं लिया है। इसके अलावा, केंद्र ने पूर्व सीजेआई, जस्टिस के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता में नया आयोग नियुक्त किया है।

    इस मुद्दे की जांच के लिए अक्टूबर, 2022 में तीन सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया कि क्या सिख धर्म और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों में परिवर्तित दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता है। वर्तमान में संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के अनुसार केवल उन्हें ही अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता है, जो हिंदू, सिख और बौद्ध हैं। प्रारंभ में यह केवल हिंदुओं के लिए था। हालांकि, बाद में 1956 में संशोधन के माध्यम से सिखों को जोड़ा गया और 1990 में बौद्धों को सूची में शामिल किया गया।

    सेवानिवृत्त सीजेआई रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग द्वारा प्रस्तुत 2007 की रिपोर्ट में दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए योग्यता पाई गई।

    पिछले मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन सप्ताह की अवधि के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया।

    जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस ए.एस. ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की खंडपीठ के समक्ष बुधवार को याचिकाकर्ताओं में से एक सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने प्रस्तुत किया कि अपने नवीनतम हलफनामे में केंद्र ने प्रस्तुत किया कि वे उसी मुद्दे की जांच के लिए एक और आयोग नियुक्त करना चाहते हैं।

    उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले को 2 साल के लिए टालने की मांग की, ठीक यही वह समयावधि है, जो नए आयोग को रिपोर्ट देने के लिए आवश्यक होगी।

    खंडपीठ ने संकेत दिया कि पहला मुद्दा जिस पर विचार करने की आवश्यकता है वह यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।

    पीठ ने मामले को जनवरी, 2023 तक स्थगित करते हुए आदेश में कहा,

    "पहला पहलू यह है कि क्या इस आयोग की रिपोर्ट आने तक इस अदालत को इसे अपने पास रखना चाहिए या इसे रिकॉर्ड पर सामग्री के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए।"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे के निहितार्थ को समझने के लिए समसामयिक डेटा के महत्व पर जोर दिया।

    उन्होंने प्रस्तुत किया,

    "अगर मैं एससी से संबंध रखता हूं तो मुझे कुछ सामाजिक नुकसान होंगे। अब काल्पनिक रूप से मैं ईसाई बन जाऊंगा, क्या मैं अधिक स्वीकार्य होगा, मेरा नाम बदल जाएगा, आदि। इसकी जांच की जानी है।"

    सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में दलित ईसाइयों की राष्ट्रीय परिषद (एनसीडीसी) नामक संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका में नोटिस जारी किया था, जिसमें दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    [केस टाइटल: गाजी सादुद्दीन बनाम महाराष्ट्र राज्य सी.ए. नंबर 329-330/2004]

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