सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फ़र्ज़ी खबरों की वजह से मज़दूरों का पलायन शुरू हुआ, COVID-19 पर मीडिया आधिकारिक विवरण ही प्रकाशित करे

LiveLaw News Network

1 April 2020 1:33 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, फ़र्ज़ी खबरों की वजह से मज़दूरों का पलायन शुरू हुआ, COVID-19 पर मीडिया आधिकारिक विवरण ही प्रकाशित करे

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शहरों में काम कर रहे मज़दूरों का पलायन देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद इस फ़र्ज़ी खबर के कारण शुरू हुआ कि लॉकडाउन तीन महीने तक चलेगा।

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा,

    "शहरों में काम कर रहे मज़दूरों में इस ख़बर के बाद अफ़रातफ़री मच गई कि लॉकडाउन तीन महीने से ज़्यादा समय तक चल सकता है, जिसके कारण वे शहर छोड़कर भागने लगे। दहशत में आकर इस तरह के पलायन से उन लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने इन फ़र्ज़ी खबरों में विश्वास किया और इसके आधार पर शहर छोड़ने का निर्णय किया। हक़ीक़त यह है कि कुछ लोगों की इसमें जान तक चली गई है।"

    पीठ ने आगे कहा,

    "इसलिए हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया द्वारा फैलाए जाने वाली फ़र्ज़ी ख़बर के इस ख़तरे को नज़रंदाज़ कर दें।"

    इस मामले में दायर जनहित याचिका में प्रवासी मज़दूरों के कल्याण के लिए क़दम उठाए जाने की मांग की गई थी जो देश भर में COVID 19 महामारी फैलने की आशंका के मद्देनज़र देश भर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद बहुत ही मुश्किल में फंस गए हैं।

    पीठ ने आगे कहा,

    "...हम मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल) से उम्मीद करत हैं कि वह जिम्मेदारी भरा रवैया अपनाएगी और यह सुनिश्चित करेगी कि दहशत का माहौल पैदा करने वाली खबरें बिना पुष्टि के लोगों तक नहीं पहुंचे।"

    केंद्र सरकार ने पीआईएल पर अपने पक्ष के बारे में दायर हलफ़नामे में कहा है कि अदालत यह निर्देश दे कि कोई मीडिया सरकार से तथ्यों की जांच के बिना COVID 19 की खबरें प्रकाशित नहीं करे। पीठ ने इस बारे में एसजी की इस दलील पर भी ग़ौर किया कि सोशल मीडिया सहित सभी मीडिया पर भारत सरकार का दैनिक बुलेटिन जारी होगा जो लोगों के संदेहों को दूर करेगा।

    पीठ ने कहा कि वह महामारी पर निर्बाध चर्चा में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है पर मीडिया को चाहिए कि वह सरकारी बयानों पर ग़ौर करे और उसे प्रसारित करे।

    पीठ ने एसजी के इस बयान पर भी ग़ौर किया कि केंद्र सरकार सभी धर्मों के सलाहकारों और प्रशिक्षित सामुदायिक नेताओं को प्रवासी मज़दूरों के लिए चलाए जा रहे राहत शिविरों का दौरा कराने की योजना बना रही है ताकि उनकी चिंता दूर हो। ऐसा देश भर में चलाए जा रहे हर राहत शिविरों/शेल्टर होम्स में किया जाएगा।

    एसजी ने कहा कि नियंत्रण कक्ष को रात को 2.30 बजे जो सूचना मिली उसके अनुसार विभिन्न सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 21,064 राहत शिविर स्थापित किए हैं जहाँ प्रवासी श्रमिकों को रखा गया है और उन्हें मूलभूत सुविधाएं जैसे भोजन, दावा, पानी आदि की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, 6.66,291 लोगों को अभी तक आश्रय मुहैया कराया गया है और 22,88,279 लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया है।

    पीठ ने दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को देखते हुए पुलिस से अंतर-राज्यीय कामगारों के प्रति मानवीय चेहरा दिखाने को कहा। पीठ ने कहा,

    "प्रवासियों की चिंताओं और डर को पुलिस और अन्य अथॉरिटीज़ को समझना चाहिए। जैसा कि भरत सरकार ने निर्देश दिया है, उन्हें प्रवासियों के साथ मानवीय तरीक़े से व्यवहार करना चाहिए।

    जिस तरह की स्थिति है, हमारी राय में राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेशों को चाहिए कि वे प्रवासी मज़दूरों की देखभाल के लिए पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवकों की सेवाएं लें। हम ग़रीबों स्त्री, पुरुष और बच्चों की चिंता करने वालों की भावनाओं का आदर करते हैं।"

    देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर देश के अलग-अलग शहरों से अपने घरों की ओर जाने के लिए निकल पड़े। रोज़गार बंद हो जाने और फिर इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा और सरकार से किसी भी तरह का तत्काल आश्वासन नहीं आने के बाद ये मज़दूर पैदल ही अपने गंतव्य की ओर चल पड़े। ख़बर है कि अपने घरों की ओर पैदल जाते हुए 22 मज़दूरों की जान चली गई है।



    Next Story