सुप्रीम कोर्ट ने DMK की तमिलनाडु के स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

LiveLaw News Network

5 Dec 2019 1:11 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने DMK की तमिलनाडु के स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

     सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को डीएमके द्वारा तमिलनाडु के स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने की मांग वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जो 27 दिसंबर और 30 दिसंबर को होने वाले हैं। डीएमके ने कहा है कि राज्य में 9 नए जिलों का गठन किया गया है लेकिन इनका परिसीमन नहीं हुआ है।

    वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी डीएमके की ओर से पेश हुए और अदालत को सूचित किया कि नवगठित जिले की सीमाओं, जनसंख्या प्रोफाइल में बदलाव किया जाना है और इनके नए वार्ड होंगे। इस पर प्रकाश डालते हुए यह आग्रह किया गया कि चूंकि परिसीमन की नियत प्रक्रिया नहीं हुई है इसलिए चुनाव को तब तक के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए जब तक कि यह पूरा न हो जाए।

    इस दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने पूछा कि क्या पिछले जिले के वार्डों को नए सिरे से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। CJI ने आगे पूछा कि विभाजन के बाद किस परिसीमन को प्राप्त करने की मांग की गई है और उस की क्या आवश्यकता है। सिंघवी ने यह कहते हुए जवाब दिया कि यह प्रक्रिया का एक हिस्सा है और स्थानीय निकाय चुनावों का ठीक से संचालन करना लोकतंत्र का अभिन्न अंग है।उन्होंने आगे कहा कि चूंकि सरकार ने लंबे समय तक इंतजार किया इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए केवल दो सप्ताह इंतजार करना उचित रहेगा कि पहले प्रक्रिया पालन किया गया है।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने तब चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा पर अपना ध्यान केंद्रित किया और कहा "तमिलनाडु में जिलों के विभाजन के बाद परिसीमन आवश्यक नहीं है?" नरसिम्हा ने नकारात्मक में जवाब दिया और कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि मूल जिले में द्विभाजन से पहले की गई जनसंख्या की जनगणना पर परिसीमन की प्रक्रिया आधारित है।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से कहा, " वो जिलों को द्विभाजित करके चुनाव में देरी के लिए जिम्मेदार हैं और अब कह रहे हैं कि परिसीमन की प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कानून का पालन किया जाना चाहिए और "यदि इसमें स्थगन (चुनावों का) शामिल है, तो यह भी हो।"

    इस दौरान राज्य निर्वाचन आयोग ने एक सुझाव दिया कि द्विभाजन को वापस लिया जा सकता है और तदनुसार मतदान आयोजित किया जा सकता है। बेंच इस सुझाव से सहमत दिखी।

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने पार्टियों को यह विकल्प दिया कि सुझाव के अनुसार द्विभाजन को वापस लिया जा सकता है और मतदान आयोजित किया जा सकता है, या नवगठित जिलों को अलग करके मतदान मतदान हो सकता है।

    पीठ ने तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल विजय नारायणन को इन प्रस्तावों के बारे में सरकार से निर्देश लेने का निर्देश दिया। नारायणन ने दोपहर के भोजन के बाद वापस आकर कहा कि राज्य चुनाव आयोग 9 नव द्विभाजित जिलों को छोड़कर अन्य सभी जिलों के चुनाव कराने के लिए सहमत है। इसे संज्ञान में लेते हुए पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

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