अभिनेत्री पर यौन हमला : अभिनेता दिलीप की मेमोरी कार्ड की कॉपी प्राप्त करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

LiveLaw News Network

29 Nov 2019 6:45 AM GMT

  • अभिनेत्री पर यौन हमला : अभिनेता  दिलीप की  मेमोरी कार्ड की कॉपी प्राप्त करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मलयालम अभिनेता दिलीप को कथित तौर पर फरवरी 2017 में केरल की एक अभिनेत्री के साथ किए गए यौन अपराधों के दृश्य वाले मेमोरी कार्ड की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

    न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ ने हालांकि अभिनेता दिलीप को अभिनेत्री की गोपनीयता हासिल करने वाली शर्तों के अधीन वीडियो का उपयोग करने और निरीक्षण करने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार केरल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसने दिलीप की याचिका को खारिज कर दिया था।

    दिलीप को अपराध के साजिशकर्ता के रूप में आरोपी बनाया गया है। यह अपराध कथित रूप से फरवरी 2017 में कोच्चि के उपनगरीय इलाके में एक चलती गाड़ी में किया गया था। आरोप लगाया गया था कि अभिनेत्री पर चलती गाड़ी में हमला किया गया।

    सुप्रीम कोर्ट में याचिका में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दिलीप के लिए दलील दी कि विजुअल्स से छेड़छाड़ हुई है।

    उन्होंने कहा कि आरोपपत्र में आरोप लगाया गया था कि अभिनेत्री पर चलती गाड़ी में हमला किया गया था, हालांकि, मेमोरी कार्ड के दृश्य एक स्थिर वाहन के थे। दिलीप के वकीलों को एक भी ऐसा वीडियो नहीं दिखाया गया जो निरंतर हो, बल्कि यह कई संपादित क्लिप का एक संग्रह था, जिसमें अजनबियों की आवाज़ का ऑडियो था। दिलीप की बेगुनाही साबित करने के लिए मेमोरी कार्ड की कॉपी बेहद आवश्यक है, रोहतगी ने कहा।

    केरल सरकार ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि "यदि पीड़िता के मौलिक अधिकारों और निजता के अधिकार को ध्यान में रखे बिना फुटेज की प्रति दी गई है, तो अभियोजन पक्ष के मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।"

    यह आगे कहा गया है कि दिलीप और उनके वकील पहले ही न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के कक्ष में मेमोरी कार्ड में दृश्य देख चुके हैं और इसकी आपूर्ति नहीं होने के कारण कोई पूर्वाग्रह नहीं था।

    केरल उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि, मेमोरी कार्ड इस मामले में कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं था, बल्कि वह एक सामग्री के तौर पर था।

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