सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा, "क्या हम अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करने से रोक सकते हैं?"

LiveLaw News Network

19 Jun 2020 7:46 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा, क्या हम अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करने से रोक सकते हैं?

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र की प्रस्तावित महत्वकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम पर रोक लगाने की याचिका ठुकरा दी।

    केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह यह आश्वासन नहीं दे सकती है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के संबंध में कोई काम नहीं किया जाएगा।

    जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं ली जा सकती कि कोई ज़मीनी काम नहीं होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जिसमें सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन किया गया है।

    यह तर्क दिया गया है कि सरकार की अधिसूचना, 20 मार्च, 2020, जो 19 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा जारी एक सार्वजनिक सूचना को निरस्त करती है, न्यायिक नियमों के खिलाफ है क्योंकि मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

    सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं। केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रही है जिसमें प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे।

    केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपये की है। 20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया था।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने प्रस्तुत किया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद प्राधिकरण परियोजनाओं की विभिन्न निर्माण गतिविधियों के लिए मंजूरी दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की भी सिफारिश की गई है।

    इन परिस्थितियों में, हेगड़े ने प्रस्तुत किया, अदालत को आदेश देना चाहिए कि आगे कोई कदम नहीं उठाए जाएंगे।

    हेगड़े ने कहा,

    "विभिन्न प्रशासनिक मंजूरी की एक श्रृंखला चल रही है। स्वीकृतियों पर कोई आपत्ति नहीं की जा रही है। मेरी प्रार्थना जमीनी हालात में बदलाव के लिए नहीं है, हालांकि कागजी कार्यवाही के लिए है।"

    पीठ ने जवाब में कहा,

    "क्या हम अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करने से रोक सकते हैं?"

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह परियोजना "बहुत बड़ी" है और मंजूरी देने में "प्रक्रिया का कोई अतिरेक" नहीं है।

    पीठ ने अंततः इस मामले को 7 जुलाई को पोस्ट किया, और कहा कि परियोजना के बारे में किसी अन्य कार्यवाही को समेकित तरीके से माना जाएगा।

    30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इस योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने याचिकाकर्ता राजीव सूरी को याचिका में संशोधन करने को कहा था। जब याचिकाकर्ता ने योजना पर रोक का अनुरोध किया तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

    " कोरोना के चलते कोई काम नहीं होने वाला है। इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं। पहले ही ऐसी याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं तो आप इसमें संशोधन कीजिए। "

    केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की 22 अप्रैल को विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीनीकरण के लिए पर्यावरण मंजूरी (EC) देने की सिफारिश की थी।

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