सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए, 6 महीने में जांच पूरी होगी

LiveLaw News Network

12 Dec 2019 8:38 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए, 6 महीने में जांच पूरी होगी

    हैदराबाद में महिला डॉक्टर से बलात्कार के बाद जलाकर हत्या करने के चार आरोपियों की मुठभेड़ को ' फर्जी' बताकर जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाते हुए इसकी न्यायिक जांच का आदेश दिया है।

    इस जांच की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस वी एस सिरपुरकर करेंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेखा बलदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डीआर कार्तिकेयन जांच पैनल के अन्य सदस्य होंगे।

    पैनल को 6 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करनी होगी और रिपोर्ट जमा करनी होगी। आयोग हैदराबाद में रहकर जांच करेगा शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि कोई अन्य अदालत या प्राधिकरण तब तक मुठभेड़ हत्याओं की जांच नहीं करेगा।

    इसका मतलब यह है कि तेलंगाना उच्च न्यायालय में कार्यवाही और इस मुद्दे पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा की जा रही मुठभेड़ की गई जांच प्रभावी ढंग से रुक गई है।

    मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि लोगों को सच्चाई जानने का अधिकार है और इसका उद्देश्य निष्पक्ष जांच है। तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका में हत्याओं की स्वतंत्र जांच पर सहमति जताई।

    रोहतगी ने पीठ को बताया कि चार लोगों ने पुलिस की पिस्तौल छीन ली थी और उन पर पथराव किया था, जब उन्हें 6 दिसंबर की सुबह सबूत जुटाने के लिए अपराध स्थल पर लाया गया था। पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी फायर किया।

    रोहतगी ने कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय ने पहले ही इस घटना का संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के बाद जांच भी चल रही है। लेकिन सरकार इस घटना की निष्पक्ष जांच के विरोध में नहीं है ।

    दरअसल वकील जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस मुठभेड़ पर पुलिस टीम के मुखिया समेत सभी अफसरों पर FIR दर्ज कर जांच कराई जानी चाहिए।

    याचिका में कहा गया है कि ये जांच सीबीआई, SIT, CID या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए जो तेलंगाना राज्य के अंतर्गत ना हो। साथ ही जांच टीम की अगुवाई साइबराबाद के पुलिस आयुक्त वीसी सजनार से उच्च पद के अफसर से कराई जाए।

    याचिका में कहा गया है कि ये भी जांच हो कि क्या मुठभेड़ को लेकर PUCL व अन्य बनाम भारत संघ मामले में 2014 में दी गई सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया गया है या नहीं। इसके साथ ही तेलंगाना सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक से घटना संबंधी सारा रिकॉर्ड तलब करने का अनुरोध किया गया है।

    दूसरी याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दाखिल कर कोर्ट की निगरानी में SIT से जांच के साथ-साथ आरोपियों के खिलाफ टिप्पणी करने पर राज्य सभा सासंद जया बच्चन और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

    याचिका में कहा गया है कि जब तक ऐसे मामलों में शामिल आरोपी अदालत द्वारा दोषी करार ना दिए जाएं, मीडिया में बहस पर रोक लगाई जाए।

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