सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपी शरजील   इमाम की याचिका पर असम, UP, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश को भी नोटिस जारी किया  

LiveLaw News Network

26 May 2020 8:36 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपी शरजील    इमाम की याचिका पर असम, UP, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश को भी नोटिस जारी किया  

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर में दायर एफआईआर को एक साथ कर एक ही एजेंसी द्वारा जांच की शरजील इमाम की याचिका पर सुनवाई की ।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने असम, यूपी, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश राज्यों को नोटिस जारी किए, जिनमें शरजील के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।

    वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे, इमाम के लिए पेश हुए और हाल ही में अर्नब गोस्वामी द्वारा कई राज्यों में एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर अदालत द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया।

    एसजी ने कहा,

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दलील को पलटते हुए कहा कि गोस्वामी के मामले में मुद्दे इमाम के तत्काल मामले से पूरी तरह अलग हैं। " अर्नब के मामले में एफआईआर को चक्रवात बना दिया गया। इसमें एक भी नहीं।"

    इसके अलावा, उन्होंने कहा कि केवल दिल्ली राज्य को नोटिस जारी करना ही पर्याप्त नहीं था, बल्कि उन सभी राज्यों के लिए भी नोटिस जारी हो जहां इमाम ने कथित देशद्रोही भाषण दिए थे।

    इसके अलावा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जैसा कि 1 मई को अदालत द्वारा निर्देशित किया गया था, रिपोर्ट तैयार है और बुधवार को दायर की जाएगी।

    इसके आलोक में, न्यायालय ने मामले को 2 सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक मई को शरजील इमाम की देश भर में उनके खिलाफ दायर एफआईआर की जांच एक ही एजेंसी से कराने की याचिका पर नोटिस जारी किया था।

    जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दिल्ली पुलिस को याचिका का जवाब देने का निर्देश दिया था।

    इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने प्रस्तुत किया था कि विभिन्न राज्यों द्वारादर्ज सभी पांच एफआईआर उनके द्वारा दिए गए एक ही भाषण पर आधारित हैं।

    वकील ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में लगाई गई रोक का उल्लेख किया।

    जस्टिस अशोक भूषण ने कहा था कि पुलिस एफआईआर दर्ज करने में गलत नहीं है, अगर उन्हें कुछ संज्ञेय अपराध के बारे में पता चलता है।

    इमाम पर राजद्रोह और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप लग रहे हैं। वर्तमान में इमाम गुवाहाटी जेल में बंद हैं। 13 दिसंबरऔर 15 दिसंबर, 2019 को जामिया में हिंसा में शामिल होने के लिए जवाहरलाल विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ विभिन्न राज्यों में पांच एफआईआर दर्ज की गई थीं।

    उन पर दिसंबर में भड़काऊ भाषण के कारण, जामिया दंगों को भड़काने और 15 जनवरी को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने पर आरोप लगाए गए।

    इमाम, जो पहले दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध के आयोजकों में से एक थे, उन पर राजद्रोह के आरोप लगे हैं, जिसमें IPC 124 & 153A (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ) अधिनियम की धारा 13 भी जोड़ी गई है।

    25 अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत ने UAPA के तहत खिलाफ जांच की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया, जिसका मतलब है कि जांच की अवधि तक इमाम की नज़रबंदी बढ़ गई है। इसके विस्तार की मांग करते हुए, दिल्ली की अपराध शाखा ने इस आधार पर अधिक समय मांगा था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन ने जांच की गति को गंभीर रूप से बाधित कर दिया है।

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