सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को हत्या के आरोपी विधायक के पति को गिरफ्तार करने का अंतिम मौका दिया; विफलता पर कार्रवाई की चेतावनी दी

LiveLaw News Network

27 March 2021 11:36 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को हत्या के आरोपी विधायक के पति को गिरफ्तार करने का अंतिम मौका दिया; विफलता पर कार्रवाई की चेतावनी दी

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के दमोह में हुई कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में राज्य के पुलिस महानिदेशक को आरोपी बीएसपी विधायक रामबाई प्रजापति के पति गोविंद सिंह को गिरफ्तार करने के 12 मार्च के आदेश का पालन की विफलता पर फटकार लगाई।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने एक हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया है पुलिस ने 12 मार्च 2021 के अपने आदेश के अनुपालन में प्रयास किए, लेकिन इसके बावजूद पुलिस आरोपी को पकड़ और गिरफ्तार नहीं कर पाई।

    बेंच ने कहा कि,

    "हम पुलिस महानिदेशक के हलफनामे को अस्वीकार्य करते हैं। यह इस कारण से अवगत कराता है कि कैसे एक अभियुक्त जो विधान सभा के सिटिंग मेंबर का पति है उसे दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 319 के प्रावधानों के तहत आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश के बावजूद भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 302 के तहत आरोपी पर अपराध का मुकदमा चलाने के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया।"

    पीठ ने कहा कि,

    "आरोपी को आपराधिक कानून की प्रक्रिया से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।"

    कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश दिया कि इस न्यायालय के पिछले आदेश का अनुपालन 5 अप्रैल से पहले किया जाए। इसके साथ ही सूचीबद्ध तारीख तक आदेश का पालन करने में असफल होने पर कोर्ट की ओर से कार्रवाई की चेतावनी दी गई।

    कोर्ट को पहले यह भी सूचित किया गया कि पहले आरोपी को पुलिस द्वारा सुरक्षा दी गई थी, हालांकि राज्य के वकील ने कहा कि अब इसे वापस ले लिया गया है।

    कोर्ट ने इसके मद्देनजर पुलिस महानिदेशक को फिर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया कि,

    (i) आरोपी को किस तारीख और किस आधार पर सुरक्षा दी गई थी;

    (ii) क्या अब तक तक सुरक्षा प्रदान की गई है; तथा

    (iii) यदि नहीं, तो वह तारीख जिस पर सुरक्षा वापस ले ली गई थी।

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जुलाई 2019 में आरोपी गोविंद सिंह की जमानत रद्द करने की मांग वाली देवेंद्र चौरसिया के बेटे की याचिका को खारिज कर दिया था। जब आरोपी ने गोविंद सिंह कथित तौर पर देवेंद्र चौरसिया की हत्या की थी, तब वह अन्य हत्या के मामलों में जमानत पर बाहर था।

    हाईकोर्ट ने याचिका को अनुमति देने से इनकार करते हुए निर्देश दिया था कि जांच तीन महीने यानी 90 दिन के अंदर पूरी हो जानी चाहिए और जांच पूरी होने के बाद अगर गोविंद सिंह अपराध के मामले में शामिल पाया जाता है, तो तुरंत हिरासत में लिया जाए और निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि गोविंद सिंह द्वारा न तो गवाहों और शिकायतकर्ता पक्षकारों को धमकाया जाएगा और न ही प्रभावित किया जाएगा।

    इस साल फरवरी में सक्षम एएसजे ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। इसके बाद एसपी और अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा उक्त न्यायाधीश को डराया गया था और इस संबंध में जिला न्यायाधीश से शिकायत की गई थी।

    बेंच ने 12 मार्च को कहा था कि,

    "क्या एएसजे द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी करने पर एसपी की ओर से धमकी दी जा रही है? क्या राज्य में कानून का शासन है?"

    पीठ ने कहा था कि,

    "अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा 8 फरवरी 2021 को दिए गए आदेश से पता चलता है कि दमोह के पुलिस अधीक्षक और उनके साथियों द्वारा सत्र न्यायाधीश और अन्य न्यायिक अधिकारी पर दबाव डाला जा रहा है।"

    न्यायिक अधिकारी का कहना था कि आरोपी जो अत्यधिक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति है और आरोपी उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं और लंबित मामले को स्थानांतरित करने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन जिला न्यायाधीश द्वारा इन मामलों को गलत पाए जाने पर खारिज कर दिया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा है कि भविष्य में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो सकता है।

    कोर्ट ने कहा था कि,

    "हम इस बात पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं कि आपराधिक मामले के प्रभारी और हाटा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को दमोह में कानून प्रवर्तन मशीनरी द्वारा परेशान किया गया है। हमारे पास न्यायिक अधिकारी की ओर से दायर याचिका पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है, जिस पर सीआरपीसी की धारा 319 के तहत उनके आदेशों के परिणामस्वरूप उन पर दबाव डाला जा रहा था।"

    जस्टिस शाह ने कहा था कि,

    "यदि आप गिरफ्तारी नहीं कर सकते हैं, तो स्वीकार करें कि आप संविधान के अनुसार प्रशासन का संचालन करने में विफल रहे हैं।"

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 12 मार्च को डीजीपी को आरोपी को गिरफ्तारी करने का निर्देश देने के अलावा एएसजे को सुरक्षा प्रदान करने का भी निर्देश दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अंत में कहा था कि, "यह जंगल-राज है!"

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